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नई दिल्ली. उर्वरक सब्सिडी (Fertilizer Subsidy) बिल चालू वित्त वर्ष 2022-23 में बजटीय लक्ष्य 2.15 लाख करोड़ रुपये की तुलना में बढ़कर 2.55 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच सकता है. गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक पूल गैस कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से उर्वरक सब्सिडी का बिल अनुमान से 40,000 करोड़ रुपये अधिक रह सकता है. यूरिया के उत्पादन में प्राकृतिक गैस प्रमुख कच्चा माल है. फरवरी में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से इसकी कीमतों में कई गुना उछाल आया है, क्योंकि रूस दुनिया में गैस का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है.

सरकार एक अप्रैल से घरेलू स्तर पर उत्पादित गैस के दाम 150 प्रतिशत बढ़ा चुकी है. सरकार उद्योग की सब्सिडी की मांग को पूरा करने में आगे रही है. बजट में सब्सिडी के लिए 1.05 लाख करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे. इसके बाद पशु-चारे और उत्पाद कीमतों में बढ़ोतरी के मद्देनजर इस साल मई में सब्सिडी के लिए 1.10 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त देने की घोषणा की गई.

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क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के निदेशक नवीन वैद्यनाथन ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से पूल गैस के दाम सितंबर तिमाही में तिमाही आधार पर 10 प्रतिशत बढ़ गए हैं. हालांकि, पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि गैस कीमतें नरम होंगी.

कुल उत्पादन में घरेलू यूरिया की हिस्सेदारी 85 प्रतिशत

पूल गैस के दाम में प्रत्येक एक डॉलर की वृद्धि होने से घरेलू स्तर पर उत्पादित यूरिया के लिए सब्सिडी का बोझ 7,000 करोड़ रुपये पड़ता है. कुल उत्पादन में घरेलू यूरिया की हिस्सेदारी 85 प्रतिशत है. रिपोर्ट में कहा गया है कि शेष 15 प्रतिशत आयातित यूरिया का दाम 650 डॉलर प्रति टन के ऐतिहासिक उच्चस्तर पर है. कुल मिलाकर इसकी वजह से चालू वित्त वर्ष में उर्वरक सब्सिडी बढ़कर 2.55 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच सकती है.

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अभी कितनी है उर्वरक सब्सिडी

दो साल पहले तक उर्वरक सब्सिडी 75 से 80 हजार करोड़ ही हुआ करती थी. अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे माल के दाम में वृद्धि की वजह से उर्वरकों का वास्तवित दाम काफी बढ़ जाएगा. जिससे किसानों के लिए खेती करना काफी महंगा हो जाएगा. इसलिए सरकार लगातार सब्सिडी बढ़ा रही है.

Tags: Business news, Farmer, Modi government, Subsidy

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