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हाइलाइट्स

सजायाफ्ता कैदियों से जेलों में कराया जाता है काम
कैदियों को काम के बदले दिया जाता है मेहनताना

विष्णु शर्मा.

जयपुर. राजस्थान में अपराध से पीड़ित परिवारों (Victims Families) के लिए अच्छी खबर आई है. प्रदेश की तमाम जेलों में सजा काट रहे बंदियों को काम करने पर पर मिलने वाले उनके मेहनताने (Remuneration) की 25 फीसदी राशि उनके अपराध से पीड़ित व्यक्ति या उसके वारिस को सौंपी जाएगी. जेल विभाग के डीजी भूपेंद्र दक के निर्देशों के बाद जेल विभाग ने पीड़ितों को रकम लौटाने की तैयारी कर ली है. इसके लिए करीब 10 हजार बंदियों के नाम और अपराधिक मुकदमे की सूची जेल विभाग ने अपनी वेबसाइट पर जारी की है.

संगीन अपराधों में कोर्ट से सजा सुनाने के बाद जेल में बंद कैदियों से काम करवाया जाता है. जेल में काम करने पर उनको मेहनताना भी दिया जाता है. नियमों के मुताबिक बंदी को मिलने वाले इस मेहनताने की रकम में 25 फीसदी हिस्सा पीड़ित का होता है. लेकिन इन नियमों की जानकारी के अभाव के चलते पीड़ित लोग इस रकम को प्राप्त नहीं कर पाते हैं. ऐसे में यह रकम जेल विभाग के पास जमा हो जाती है.

2018 से अब तक 3 करोड़ 90 लाख रुपये हुये जमा
आईजी जेल विक्रम सिंह के मुताबिक वर्ष 2018 के बाद से अब तक करीब 10 हजार सजायाफ्ता बंदियों के मेहनताने की रकम में से 25 फीसदी के हिसाब से करीब 3 करोड़ 90 लाख रुपये जेल विभाग के पास जमा हो गए हैं. जेल विभाग इस रकम को बांटने के लिए भी तैयार है. लेकिन पीड़ित पक्ष उन तक नहीं पहुंच पाता है. ऐसे में जेल विभाग ने करीब 10 हजार बंदियों की सूची जेल विभाग की वेबसाइट पर अपलोड की है.

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कैसे किया जाता है रकम पर दावा
आईजी जेल विक्रम सिंह के मुताबिक जेल विभाग की तरफ से 10 हजार 29 बंदियों के नामों की सूची जारी की गई है. इसमें कैदियों का संपूर्ण विवरण दिया गया है. इस सूची में मुकदमे की जानकारी को देखकर पीड़ित पक्ष इस रकम को प्राप्त करने का दावा कर सकता है. इसके लिए प्रदेश के सभी जेल अधीक्षकों को डीजी जेल भूपेंद्र दक ने निर्देश दिए हैं. इन निर्देशों में कहा गया है कि किसी भी पीड़ित के रकम पर दावा करने पर उसे रकम जल्द से जल्द सौंपी जाए.

सजायाफ्ता बंदियों को इस तरह मिलता है मेहनताना
किसी भी अपराध में गिरफ्तार आरोपी को कोर्ट से सजा होने के बाद जिला जेल में रखा जाता है. वहां कैदियों से कोर्ट की सजा के अनुसार साधारण और कठोर कारावास के मुताबिक काम करवाया जाता है. इनमें बंदी सजा के दौरान जेल में कूलर बनाना, फर्नीचर तैयार करना, कपड़ा सिलाई करना, दीवार चिनना, दरी पट्‌टी बनाने के अलावा कई काम करते हैं. इसमें जेल विभाग की तरफ से कुशल बंदियों को मेहनताने के रूप में 249 रुपये प्रतिदिन और अकुशल बंदियों को 225 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से दिया जाता है. इसी कुल जमा रकम का 25 फीसदी हिस्सा बंदी के अपराध से पीड़ित व्यक्ति को सौंपने का नियम है.

आईजी जेल की अध्यक्षता में तय होता है पीड़ित के वारिस का नाम
आईजी जेल की अध्यक्षता में गठित कमेटी मीटिंग करती है. वह तय करती है कि किसी भी आपराधिक मुकदमे में पीड़ित व्यक्ति या उसका वारिस कौन है जो कि सजायाफ्ता कैदी के मेहनताने में से 25 फीसदी की रकम प्राप्त करने का हकदार है. उस नाम की सूची जेल के अधीक्षक को भिजवाई जाती है ताकि पीड़ित के पहुंचने पर रकम दी जा सके. जेल आईजी के मुताबिक पहले यह मेहनताना काफी कम होता था. लेकिन अब मेहनताना बढ़ने से रकम भी काफी इकट्‌ठा हो गई है

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