
Ikkat Review: लॉकडाउन मार्च 2020 से हमारी जिन्दगी में आया हुआ एक नया शब्द है. कोरोना की वजह से पहला लॉकडाउन सभी के लिए यादगार रहा. पूरा परिवार एक साथ घर पर रह पाया, नयी नयी डिशेस बनायीं गयी, वर्क फ्रॉम होम की कहानी बनी, अपने भूले बिसरे शौक पूरे किये गए और थोड़ा बहुत सेहत भी संभाली गयी. जिन लोगों को छूटे हुए रोजगार के चक्कर में अपने घर पैदल लौटने की बदकिस्मती नहीं थी, उन्होंने अपने घरों में कैद रहकर अपने रिश्तों को बनते, बिगड़ते, परिपक्व होते या टूटते देखा. प्रधानमंत्री मोदी के कोरोना पर दिए गए जन-सम्बोधनों और न्यूज के टुकड़े उठा कर, एक बिखरते हुए रिश्ते के जुड़ने की कहानी है कन्नड़ फिल्म ‘इक्कत’. फिल्म का पूरा अंदाज सिचुएशनल कॉमेडी है जब कि फिल्म एक ऐसी समस्या की बात करती है जो लॉकडाउन में उभर कर सामने आयी-पति पत्नी के रिश्ते.
वासु (नागभूषण एनएस) और उसकी पत्नी जान्हवी (भूमि शेट्टी) एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार हैं, दोनों एक छोटे से 2 बैडरूम के फ्लैट में रहते हैं. दोनों की आपस में बनती नहीं है क्योंकि जान्हवी के मन में शादी के बाद की जिन्दगी की कल्पना थोड़ी फ़िल्मी है और वासु कुछ ज़्यादा ही कंजूस और प्रैक्टिकल बनने का काम करता है. दोनों रोज झगड़ते हैं और वासु की कम हाइट और जान्हवी का सांवला रंग बार बार झगडे में चला आता है. ऐसे ही एक झगड़े में टीवी पर उन्हें लॉकडाउन की खबर मिलती है. एक दूसरे से परेशान और ऊपर से साथ रहने को मजबूर.
जान्हवी टिकटॉक पर अपने वीडियो बना कर डालती रहती हैं और वहीं उनकी मुलाकात ‘ड्यूड मागा’ (आरजे विक्की) से होती है जो जान्हवी से वर्चुअल प्रेम करने लगता है और उस से मिलने उसके शहर और उसके घर पहुंच जाता है. जान्हवी घबरा कर उसे दूसरे बेडरूम में छिपा कर रखती है. खाने की राशनिंग करने के बजाये वो अतिरिक्त खाना बना कर ड्यूड को खिलाती है. अचानक वासु के मामा कर्ण (सुन्दर) बिन बुलाये मेहमान की तरह वहां पहुँच कर पति-पत्नी के जीवन को और अस्त व्यस्त कर देते हैं. ड्यूड इस बात से नाराज़ रहता है कि उसे जान्हवी ने अपने शादी शुदा होने की कोई खबर नहीं थी और अब वो लॉकडाउन की वजह से वापस नहीं जा सकता. कुछ मज़ेदार घटनाओं और कन्फ्यूज़न के बीच जान्हवी, अपने पति वासु को ड्यूड की बात बताती है और फिर ड्यूड को घर से निकाल दिया जाता है. कर्ण मामा भी अपने बिगड़ती तबियत के बावजूद कोरोना टेस्ट न करवा कर पति पत्नी के बीच झगड़ा लगाते रहते हैं. अंत में हॉस्पिटल के लोग आ कर मामा को अपने साथ कोरोना सेण्टर ले जाते हैं और पति-पत्नी को आइसोलेशन में रहने की सलाह दे जाते हैं.
फिल्म बहुत ही प्यारी है. कॉमेडी भी बहुत अच्छी है और फिल्म की कहानी कुछ इस अंदाज में आगे बढ़ती है कि हर सिचुएशन में कुछ ऐसा होने की उम्मीद रहती है जिस पर आप दिल खोल कर हंस सके. बहुत से दृश्य आपको अपने लॉकडाउन अनुभवों की याद दिलाएंगे. टिकटॉक पर सेलिब्रिटी बनने वाली लड़कियों पर एक तरफ़ा प्रेम करने के कई किस्से सामने आये हैं. इक्कत में इसे बहुत अच्छे तरीके से दिखाया गया है. बिन बुलाये रिश्तेदार जिनके बारे में अक्सर हमें कोई खबर नहीं होती और उनका आ धमकना बड़ा कॉमन होता है. इस बार कोविड और लॉकडाउन का मसला था तो बात और भी मज़ेदार लगती है. फिल्म में कॉमेडी का स्तर बहुत अच्छे से मेन्टेन किया गया है. घटिया डायलॉग या सेक्स-कॉमेडी जैसी बेवकूफियां इस फिल्म में डालने से इसे बचाया गया है. लेखक-निर्देशक और एडिटर तीनों काम ईशाम खान और हसीन खान ने किये हैं और पहली फिल्म के हिसाब से बहुत अच्छा काम किया है.
एक फ्लैट में पूरी फिल्म शूट की गयी है. कोई गाना नहीं है सिर्फ बैकग्राउंड म्यूजिक है. कुल जमा 4 प्रमुख अभिनेता हैं और बाकी 5 या 6 सपोर्टिंग कास्ट है. बजट फिल्म का कम है लेकिन फिल्म की नीयत और दिल बहुत बड़ा है. डायलॉग भी चुटीले हैं और अभिनय भी एकदम ज़बरदस्त. नागभूषण ने अपने विचित्र से चेहरे से एक मिडिल क्लास आदमी की भूमिका बहुत अच्छे से निभाई है और उनकी हरकतें भी इसी तरह की रही हैं. कोरोना के बीच में एक्सरसाइज करने का उनका ख्याल या जासूसी तरीके से घर में किसी और के होने की खोज करना बड़ा मज़ेदार है. फिल्म का अंत थोड़ा कमज़ोर हो गया है. इसको शायद किसी और तरीके से लिखा होता तो और अच्छा लगता. फिल्म छोटी है लेकिन बहुत बढ़िया है. कोविड पर आधारित कन्नड़ भाषा की इकलौती फिल्म है. सब-टाइटल के साथ देखना पड़ेगी क्योंकि डायलॉग चूकने की उम्मीद है. देखिये ज़रूर.undefined
डिटेल्ड रेटिंग
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डायरेक्शन | : | |
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Tags: Amazon Prime Video, Film review
FIRST PUBLISHED : July 25, 2021, 14:42 IST
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