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हाइलाइट्स

नीतिगत दरों में वृद्धि के बाद उधार और जमा दरों में बढ़ोतरी हुई है.
चुनौतियों के बावजूद शेयर बाजार में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली.
इस दौरान छोटे और मध्यम उद्योगों का काफी योगदान देखा गया.

नई दिल्ली. आर्थिक सर्वे (India Economic Survey 2023) में सरकार ने बताया है कि वित्तीय वर्ष 2023 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बदले हुए रुख के चलते सरकार के सरप्लस कैश की स्थिति में सुधार हुआ है. नीतिगत दरों में वृद्धि के बाद उधार और जमा दरों में बढ़ोतरी हुई है. इसके अलावा जून 2022 तक बॉन्ड प्रतिफल भी ऊपर रहा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में चालू वित्त वर्ष 2022-23 का लेखा जोखा पेश कर दिया है.

इस आर्थिक सर्वे में सरकार ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में घरेलू बाजार में लोन की मांग काफी बढ़ी है. इस दौरान कमर्शियल बैंकों समेत नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन की ओर से बांटे गए लोन में अभूतपूर्व तरीके से बढ़ोतरी देखने मिली है. वहीं चालू वित्त वर्ष में कमर्शियल बैंक की वसूली दर भी सबसे ज्यादा रही.

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वैश्विक चुनौतियों से अछूता रहा शेयर बाजार  
सरकार ने सर्वे रिपोर्ट में बताया कि 2023 वित्तीय वर्ष में कई वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारतीय शेयर बाजार में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली. हालांकि, इस दौरान काफी उतार-चढ़ाव का जारी रहा, लेकिन अन्य विदेश शेयर बाजारों के मुकाबले काफी अच्छा प्रदर्शन किया. इस दौरान छोटे और मध्यम उद्योगों का काफी योगदान देखा गया.

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बीमा और पेंशन क्षेत्र में हुई बढ़ोतरी
सरकार ने बताया कि बैंकिंग क्षेत्र और पूंजी बाजार की बढ़ती पहुंच का असर पॉजिटिव असर बीमा और पेंशन क्षेत्र पर अच्छा रहा. भारत में बीमा की पैठ लगातार बढ़ रही है. जीवन बीमा की पैठ उभरते बाजारों और वैश्विक औसत से ऊपर है. आने वाले दशक में भारत सबसे तेजी से बढ़ते बीमा बाजारों में से एक के रूप में उभरने के लिए तैयार है. इसके अलावा भारत में अटल पेंशन योजना की शुरुआत के बाद पेंशन क्षेत्र में भी तेजी से वृद्धि हुई है.

आगे भी बनी रहेगी अच्छी स्थिती
सरकार ने बताया कि वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने महंगाई पर काबू पाने के लिए अपने आक्रामक रुख का संकेत दिया है. लंबे समय तक दुनिया भर में मौद्रिक स्थितियां सख्त बने रहने की उम्मीद है. हालांकि,  घरेलू स्तर पर विकास के लिए आरबीआई का समर्थन पर्याप्त रूप से मिलता रहेगा. इस दौरान घरेलू बाजार में लोन की मांग भी अच्छी बनी रहेगी. नियामकों द्वारा क्रेडिट अपसाइकल को वित्तीय प्रणाली में जोखिमों की निरंतर निगरानी से भी मदद मिलेगी. अनिश्चितता का कोहरा छंटने के बाद भारत में वैश्विक पूंजी प्रवाह की वापसी को मजबूती मिलेगी और अमृत काल के उद्देश्यों को साकार करने में वित्तीय व्यवस्था अहम भूमिका निभाएगी.

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