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Jolt Review: अंग्रेजी फिल्में या हॉलीवुड की फिल्मों के बारे में दो बातें याद रखने लायक होती हैं. एक तो उनका बजट बड़ा भारी होता है और दूसरा वहां फिल्म लिखने में बड़ी मेहनत की जाती है. जोल्ट फिल्म देखने के बाद इन दोनों बातों को भूल ही जाना चाहिए. न तो ये फिल्म बहुत बड़े बजट की है और न ही इसमें जो कहानी है वो ऐसी है कि इसे याद रखा जाए. हीरोइन प्रधान फिल्म है, कोई हीरो नहीं है, एक्शन भी सस्ता सा लगता है और कहानी बिलकुल लचर है.

ऐसा क्यों होता है कि अमेरिकी फिल्मों में अक्सर हीरो या हीरोइन यहां तक कि विलन भी किसी न किसी मानसिक बीमारी से पीड़ित होते हैं. जैसे कि जोल्ट में हीरोइन ‘इंटरमिटंट एक्सप्लोसिव डिसऑर्डर’ से परेशान हैं. बचपन में माता पिता के बीच होते विवादों की वजह से उसके दिमाग पर असर होता है और एड्रिनल ग्लैंड्स में बनाने वाले कॉर्टिसोल नाम का हॉर्मोन का लेवल बहुत ज़्यादा होने लगता है. कॉर्टिसोल ज़्यादा होने से आपका मूड हिंसक हो सकता है क्योंकि आपकी बॉडी में ग्लूकोस बढ़ जाता है और शरीर में अत्यधिक ऊर्जा भर जाती है. आपके जीवन में होने वाले स्ट्रेस को संभालने के लिए कॉर्टिसोल काम आता है.

फिल्म जोल्ट में हीरोइन हैं लिंडी (केट बेकिनसेल).केट को हम पहले “अंडरवर्ल्ड” नाम की फिल्म सीरीज में देख चुके हैं. काफी एक्शन फिल्मों में उन्होंने अभिनय किया है और गौर करने लायक बात है कि वो अब 48 साल की हैं और एक्शन करते समय कम्फर्टेबल नज़र आती हैं. लिंडी को कुछ भी गलत होते हुए दिखाई देता है तो उसे गुस्सा आने लगता है. ये गुस्सा उस हद तक आता है जहां वो उसे नियत्रित नहीं कर सकती और वो हिंसा पर उतर आती है. अलग अलग किस्म के इलाज करवाने के बाद वो एक डॉ. इवान मंचिन (स्टैलनी टुची) से मिलती है जो उसे एक डिवाइस देते हैं, जिसमें बटन दबाने पर बिजली के ज़ोरदार झटके लगते हैं और गुस्सा नियंत्रण में किया जा सकता है. लिंडी की मुलाक़ात एक लड़के से होती है जिस से उसे प्यार हो जाता है और अगले दिन उस लड़के की मौत की खबर आती है. उसके हत्यारों को सजा दिलाने की नीयत से वो पूरे शहर में अलग अलग लोगों से भिड़ती रहती है और अंततः जब वो हत्यारे तक पहुँचती है तो पता चलता है कि खेल किसी और ने रचा हुआ है, बाकी सब इसमें मोहरे हैं. लिंडी उस शख्स और पूरी बिल्डिंग को ध्वस्त कर देती है.

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बहुत ही सामान्य सी रिवेंज यानी बदले की कहानी है. इस तरह की कहानी पर क्वेंटिन टैरेंटीनो ने दो भागों में ‘किल बिल’ बनायीं थी. जोल्ट में किल बिल जैसी स्टोरी टेलिंग नहीं है. जोल्ट एक सीधी लाइन में चलता सिनेमा है. कहानी में सब-प्लॉट भी नहीं हैं. जिसे विलन बनाया गया है उसके पास हीरोइन को परेशान करने का कोई मोटिवेशन नहीं है. हीरोइन को दो ही मुलाक़ातों में इतना गहरा प्यार हो जाता है कि वो अपने बॉयफ्रेंड की हत्या के लिए शहर के सबसे बड़े माफिया से भिड़ जाती है. बिना हथियारों के, हैंड टू हैंड कॉम्बैट में ही वो एक दर्जन प्रशिक्षित बॉडीगार्ड्स की धुलाई कर देती है. अपने साइकेट्रिस्ट से भी हिंसक व्यव्हार करती है. हर छोटी छोटी बात पर गुस्सा करने वाली लड़की का रौद्र रूप धारण करना गलत नहीं है लेकिन उसके पीछे का मोटिवेशन गलत है या यूं कहें की कमज़ोर है.

केट बेकिनसेल की एक्टिंग अच्छी है. एक्शन फिल्मों में वो वैसे भी काफी सहज रहती हैं. इतनी एक्शन फिल्म में है नहीं जितना उसका प्रचार प्रसार किया गया था. फिल्म से उम्मीदें लगायी जा सकती थी लेकिन फिल्म में कोई खास अट्रैक्शन नज़र नहीं आया. स्टैनली टुची और विलन के तौर पर बॉयफ्रेंड के तौर पर जय कॉर्टनी का काम थोड़ा अच्छा है. स्टैनले वैसे भी मंजे हुए खिलाडी हैं लेकिन उन्हें अपने रोल्स में ध्यान देना होगा, हमेशा एक डरे सहमे शख्स की भूमिका उन्हें बंद करनी चाहिए. हैरी पॉटर और गेम ऑफ़ थ्रोन्स के फैंस के लिए फिल्म के मुख्य विलन के तौर पर डेविड ब्रेडले भी हैं, हालाँकि उनका किरदार बहुत अजीब ढंग से फिल्म में आता है और चला जाता है. स्कॉट वाशा ने फिल्म लिखी है, उनकी पहली फिल्म है और बहुत ही कमज़ोर है. कहानी में जो परतें होनी चाहिए थी वो गायब हैं. शायद फिल्म की लम्बाई की वजह से सीन कम कर दिए गए, लेकिन उस से फिल्म पर असर पड़ा है. फिल्म की निर्देशिका हैं तान्या वेक्सलर जिन्होंने पहले हिस्टीरिया नाम की एक बड़ी चर्चित फिल्म बनायीं थी. जोल्ट में उनका काम कमज़ोर हैं. निर्देशन में कोई नवीनता नहीं है, और ऐसा लगता है कि इसे एक फैक्ट्री प्रोडक्शन की तरह लिया गया. बाकी विभाग साधारण ही हैं.

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जोल्ट में दर्शकों को कोई जोल्ट नहीं लगता. वास्तव में फिल्म देखने के बाद जोल्ट देना जरूरी हो जाता है क्योंकि फिल्म बेहद उबाऊ हैं.

डिटेल्ड रेटिंग

कहानी :
स्क्रिनप्ल :
डायरेक्शन :
संगीत :

Tags: Film review

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