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रिपोर्ट: शाश्वत सिंह

झांसी. हॉकी के जादूगर के नाम से मशहूर मेजर ध्यानचंद का झांसी से विशेष रिश्ता रहा है. उनका पूरा जीवन झांसी में ही बीता है. शहरवासी उन्हें दद्दा ध्यानचंद के नाम से जानते हैं. ध्यानचंद के पिता सुमेशर दत्त प्रयागराज से यहां आकर बस गए थे. झांसी के हीरोज ग्राउंड में ही मेजर ध्यानचंद ने हॉकी खेलना शुरू किया था. उनके पुत्र अशोक ध्यानचंद बताते हैं कि हीरोज ग्राउंड की पथरीली जमीन पर ही उन्होंने हॉकी के सभी ट्रिक सीखी थी.

हीरोज ग्राउंड के पास ही दद्दा ध्यानचंद का घर था. उस घर को आज भी उसके मूल रूप में संरक्षित रखा गया है. वहीं, जिस कमरे में ध्यानचंद अपने अतिथियों से मिला करते थे उसे अब एक म्यूजियम का रूप दे दिया गया है. इस कमरे में उनसे जुड़ी तमाम चीजें आपको देखने के लिए मिल जाएंगी. ध्यानचंद की हॉकी से लेकर वह तलवार भी वहां रखी हुई है जिसे वह सैनिक के तौर पर इस्तेमाल करते थे. इसके साथ ही उनके सभी मेडल और भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा दिया हुआ पद्म भूषण भी इसी कमरे में मौजूद है.

कैसे ध्यान सिंह बने ध्यानचंद
मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक ध्यानचंद भी हॉकी के बड़े खिलाड़ी रहे हैं. वह ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि उनका असली नाम ध्यान सिंह था. सेना में रहने के दौरान वह देर रात तक चांद की रोशनी में हॉकी की प्रैक्टिस किया करते थे. इसको देखते हुए उनके एक अधिकारी ने उनका नाम ध्यानचंद रख दिया. यकीनन हॉकी के खिलाड़ियों के लिए दद्दा ध्यानचंद का घर तीर्थस्थल की तरह है.

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Tags: Dhyan Chand Award, Jhansi news, Major Dhyan Chand

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