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(वत्सला श्रंगी)

नई दिल्ली. दिल्ली नगर निगम (MCD) चुनाव में आम आदमी पार्टी ने धमाका कर दिया है. सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी ने 250 वार्डों में से अभी तक 133 वार्ड जीत लिए हैं. बुधवार को आए इस चुनाव के परिणाम ने बीजेपी के पिछले 15 साल के राज को खत्म कर दिया. बीजेपी को इस चुनाव में 101 सीटें मिली हैं.

यह पहली बार था जब एमसीडी का परिसीमन किया गया. चुनाव के बाद एग्जिट पोल ने बता दिया था कि आप क्लीन स्वीप करेगी और बीजेपी दूसरी बड़ी पार्टी होगी. एग्जिट पोल में बताया गया था कि कांग्रेस के हाथ कुछ खास नहीं लगेगा. आइए जानते हैं वो 5 कारण, जिन्होंने जनादेश को आप की तरफ मोड़ दिया.

1- केजरीवाल का ‘आप का विधायक, आप का पार्षद’ कैंपेन
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के साथ ‘आप का विधायक, आप का पार्षद’ नारा दिया. इस नारे ने झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों के अलावा मध्यमवर्गीय और निम्न-मध्यमवर्गीय परिवारों में एक आशा जगाई. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, इस नारे से लोगों में बेहतरीन सुविधाओं को लेकर आशा जगी. उन्हें लगा कि दिल्ली में शिक्षा, स्वास्थ्य, सस्ती बिजली और सस्ते पानी के बिलों की तरह आगे भी सुविधाएं मिलेंगीं.

2- आप से जुड़े कांग्रेस के मतदाता
साल 2017 के चुनाव तक कांग्रेस को उसके पारंपरिक मुस्लिम और झुग्गी निवासी मतदाताओं का समर्थन था. लेकिन, उसके बाद यह समर्थन कम होता गया. इस चुनाव में भी आप कांग्रेस के मतदाताओं पर प्रभाव छोड़ने में कामयाब रही. एमसीडी के चुनाव में कांग्रेस का प्रचार-प्रसार कहीं दिखाई नहीं दिया. न ही, पार्टा के प्रभावशाली नेताओं ने इस चुनाव में कोई रुचि दिखाई. इस साल मार्च में एमसीडी के उप-चुनाव हुए थे. इसमें से 5 सीटें आप जीती, एक कांग्रेस जीती, जबकि बीजेपी के हाथ एक भी सीट नहीं लगी. उत्तरी-पूर्व दिल्ली में हुए दंगों की वजह से कांग्रेस को एक सीट मिल गई, लेकिन उसके बाद वह किसी तरह का लाभ नहीं ले सकी. जो मतदाता बीजेपी के साथ नहीं जाना चाहते थे, उन्हें आप के रूप में एक विकल्प मिल गया.

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3- दिल्ली बीजेपी में नेतृत्व की कमी
पिछली बार हुए एमसीडी चुनाव के बाद ऐसा लगने लगा था कि बीजेपी अपने प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता को पद से हटा सकती है. क्योंकि उनके नेतृत्व में पार्टी ने स्थानीय स्तर पर किसी चुनाव में कमाल नहीं किया. इस चुनाव में हार के बाद बीजेपी प्रदेश नेतृत्व में बदलाव कर सकती है. दरअसल, पार्टी में ऐसा कोई चेहरा नहीं जिसे उच्च स्तर नेता के रूप में स्थापित किया जा सके और नेतृत्व सौंपा जा सके. इस बात से भी आप को काफी फायदा हुआ. उसने उसी के मुताबिक मतदाताओं को लुभाने की योजना बनाई.

4- कचरे का पहाड़ बना बड़ा चुनावी मुद्दा
आप ने एमसीडी चुनाव में ‘कचरे के पहाड़’ को बड़ा मुद्दा बनाया. उसने लोगों के बीच आक्रामक रूप से यह संदेश प्रसारित करना शुरू किया कि बीजेपी दिल्ली से कचरे को साफ करने में असफल हुई. दरअसल, गाजीपुर, भालस्वा और ओखला में जबरदस्त बड़े कचरे के ढेर हैं. इसके अलावा दिल्ली की गलियों में फैला हुआ कचरा, सड़कों पर फैला हुआ कचरा, कचरे के ढेर लंबे समय से यहां के लोगों के लिए सिर का दर्द रहे हैं. आप के वादों से जनता में कचरे से निजाद पाने की आशा जगी और उसने आप को वोट दे दिया.

5- आप ने खड़ा किया अपना कैडर
साल 2017 के एमसीडी चुनाव में बीजेपी को सत्ता मिली, जबकि आप नई पार्टी होने की वजह से कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सकी. आप का स्थानीय स्तर पर फैलाव इसलिए नहीं दिखा, क्योंकि दिल्ली की जनता सरकार को फिलहाल परख रही थी. बता दें, साल 2017 में भी जनता बीजेपी के खिलाफ थी, लेकिन उस वक्त बीजेपी ने नई नीति अपनाई. बीजेपी ने पुराने चेहरों को छोड़कर नए चेहरों को टिकट दे दिया. इसलिए फिर एमसीडी की सत्ता हासिल कर ली. लेकिन, इस बार आप ने निम्म मध्यमवर्गीय और मध्यमवर्गीय परिवारों तक अपनी पहुंच मजबूत बनाई. अपना कैडर खड़ा किया. इसी वजह से जनादेश आप के साथ चला गया.

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Tags: AAP, Arvind kejriwal, Delhi MCD Election 2022

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