
(नरेंद्र सिंह तोमर)
नई दिल्ली. हमारे लोकप्रिय और दूरदर्शी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले आठ सालों में कृषि एवं किसान कल्याण को लेकर जो चौतरफा प्रयास किए गए हैं उनके परिणाम समाज में नजर आने लगे हैं. किसानों की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए मंत्रालय ने योजनाओं और कार्यक्रमों के रूप में कई अभिनव कदम उठाए, जो किसानों की स्थिति को सुधारने में अहम भूमिका निभा रहे है. किसानों के जीवन स्तर में सुधार हो रहा है और दिल्ली से सहायता पूरी पारदर्शिता के साथ सीधे उनके खातों में पहुंच रही है. किसानों की आय में बढ़ोतरी हुई है, जिससे कृषि को एक व्यापार की तरह देखने की उनकी सोच को एक नई दिशा मिली है. सरकार की सभी योजनाओं और गतिविधियों से यह सुनिश्चित किया गया है कि किसान खुद से कृषि उद्यमी बनने में रुचि ले.
बजट में हुई लगातार बढ़ोतरी
पिछले आठ सालों में जो बजट आवंटित किया गया है, उसमें पर्याप्त बढ़ोतरी की गई है. इसके साथ ही ज्यादा किसान हितैषी नीतियां बनाई गईं जो सरकार की सकारात्मक सोच और मजबूत इच्छा शक्ति को दर्शाती हैं. इस वित्त वर्ष में कृषि बजट करीब 1.32 लाख करोड़ रुपये आवंटित किया गया जो किसानों के कल्याण के लिए सरकार की ईमानदार सोच को दिखाता है. पिछले आठ सालों में कृषि बजट में करीब 6 गुना वृद्धि हुई है.
अनाज का रिकॉर्ड उत्पादन
कृषि क्षेत्र में विकास का सफर बस इतना ही नहीं है. बजट आवंटन के साथ अनाज और बागवानी का रिकॉर्ड उत्पादन दर्शाता है कि सरकार ने पैसा सही दिशा में खर्च किया है. साल 2020-21 के तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक खाद्यान्न का उत्पादन 315 मिलियन टन तक जा सकता है वहीं बागवानी क्षेत्र में उत्पादन 334 मिलियन टन तक पहुंचने का अनुमान जताया गया है. जो अभी तक का सबसे ज्यादा उत्पादन है. यह वाकई में कोई छोटी उपलब्धि नहीं है कि कोविड महामारी जैसी चुनौती का सामना करते हुए भी भारत ने कई देशों को आसानी से अनाज की आपूर्ति की. यहां तक कि रूस-यूक्रेन संकट के दौरान भी भारत ज़रूरतमंद देशों में खाद्यान्न के प्रमुख आपूर्तिकर्ता के तौर पर उभरा है.
लगातार बढ़ रहा है कृषि निर्यात
देश में केवल खाद्यान्न उत्पादन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी नहीं हो रही है, बल्कि कृषि निर्यात भी लगातार बढ़ रहा है, जो करीब 4 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. खरीफ, रबी और दूसरी व्यावसायिक फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में लगातार वृद्धि की गई ताकि किसानों की आय में सुधार हो सके और उनकी जिंदगी बेहतर बने. 2013-14 में धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,310 रुपये प्रति क्विंटल था जो अब 1,940 रुपये प्रति क्विंटल हो चुका है. इसी तरह, 2013-14 में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,400 रुपये प्रति क्विंटल पर था और अब 2,015 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच चुका है .
गेंहू की अब तक की सबसे बड़ी खरीद
2021-22 में सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर करीब 433.34 लाख मीट्रिक टन गेंहू की खरीद की, जो अब तक की सबसे बड़ी खरीद है. पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में गेंहू की अब तक की सबसे बड़ी खरीद दर्ज की गई है. आंकड़े बताते हैं कि 49.19 लाख गेंहू उत्पादक किसानों को सीजन के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 85,604 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. खास बात यह है कि भुगतान में पूरी पारदर्शिता रखते हुए वह सीधे किसानों के खातों में डाला गया.
प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना
प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत 11.50 करोड़ किसानों को करीब 1.82 लाख करोड़ रुपये प्रदान किए गए. यह योजना केंद्र सरकार की एक अहम और सबसे व्यापक योजना है. इसके साथ ही यह योजना एक तरह से किसानों के प्रति सरकार की वफादारी को दर्शाती है और बताती है कि सरकार और किसानों के बीच किसी तरह के बिचौलियों का कोई काम नहीं है.
करोड़ों किसानों को मिला मिट्टी सेहत कार्ड
मिट्टी की सेहत पर सरकार ने अपना रुख हमेशा गंभीर रखा है. मिट्टी सेहत कार्ड करोड़ों किसानों तक पहुंच चुका है. यह योजना किसानों को जागरूक कर रही है जिससे वह ज्यादा से ज्यादा उत्पादन प्राप्त कर सकें. प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में सरकार ने इस साल बजट में प्राकृतिक खेती के लिए विशेष प्रावधान किया है. उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में गंगा के दोनों किनारों का 5 किमी का क्षेत्र प्राकृतिक खेती के अंतर्गत लाया जाएगा.
पाठ्यक्रम में होगी प्राकृतिक खेती से संबंधित सामग्री
सरकार की प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की योजना यहीं तक सीमित नहीं रह जाती है, बल्कि सरकार ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) से एक समिति का गठन किया है जिससे स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर प्राकृतिक खेती से संबंधित सामग्री को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सके. ICAR और मंत्रालय रसायन मुक्त खेती को भी बढ़ावा दे रहे हैं. प्राकृतिक खेती को आधुनिकता के साथ जोड़ते हुए ICAR ने कृषि विश्वविद्यालयों को प्राकृतिक खेती से जुड़ी शोध और शोध विषयों को शामिल करने के लिए विशेष दिशानिर्देश जारी किए हैं. प्राकृतिक खेती में किसानों की आय बढ़ाने की पूरी क्षमता है औऱ यह किसानों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में केंद्र सरकार की रचनात्मक सोच का प्रतीक है.
कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर कोष
किसानों के प्रति सरकार का समर्पण ही है कि सरकार ने कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर कोष के तहत 1 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. किसानों को अहम और व्यापक योजनाएं जैसे कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के जरिए सेवाएं प्रदान की जा रही हैं. इसके साथ ही सरकार किसानों की बुनियादी सुविधाएं जैसे गोदाम, कस्टम हायरिंग सेंटर, प्राथमिक प्रसंस्करण इकाई, छंटाई और ग्रेडिंग इकाई और कोल्ड स्टोरेज को लेकर भी पूरी तरह सचेत है. सरकार इन सुविधाओं के जरिए किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य प्रदान करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.
राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन
यही नहीं सरकार आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन को भी विशेष तौर पर बढावा दे रही है. इसी तरह राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM), प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और कृषि मशीनीकरण के माध्यम से सरकार किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचाने के लिए प्रयासरत है.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान से सुरक्षा मुहैया कराई गई है. इससे ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ने के लिए ‘मेरी नीति मेरा हाथ’ अभियान भी चालू किया गया. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस योजना के तहत किसानों ने करीब 21000 करोड़ का प्रीमियम भरा और उन्हें फसलों के नुकसान पर 1.15 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया.
किसान रेल योजना
किसान रेल योजना कृषि उत्पादों को सुगमता के साथ परिवहन में महती भूमिका निभा रही है. इसके जरिए खराब होने वाली फसलों को आवागमन के लिए विशेष ट्रेन चलाई जाती है. यह एक और उदाहरण है जो बताता है कि सरकार किसानों की बेहतरी और भलाई के लिए किस हद तक गंभीरता से सोचती है. इस योजना के तहत देश भर के 175 रूट पर करीब 2500 ट्रिप लग चुकी हैं.
कृषि से जुड़े स्टार्ट अप और कृषि उद्यमिता को बढ़ावा
कृषि मंत्रालय ने इस साल अपने बजट में कृषि से जुड़े स्टार्ट अप और कृषि उद्यमिता को विशेषतौर पर बढावा दिया है. इस तरह किसान हितैषी योजनाओं के जरिए भारत सरकार भविष्य में हमारे कृषि क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सक्षम होगी. कृषि क्षेत्र को लेकर बहुत उम्मीद और आकांक्षाएं हैं. हमारे संवेदनशील और कुशल प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार इस बात को अच्छी तरह समझती है और उस दिशा में पूरी ताकत से आगे बढ़ रही है.
700 से ज्यादा कृषि विज्ञान केंद्रों पर कृषि विज्ञान मेला
र्तमान में सरकार जनता के साथ मिलकर देश की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है. केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 25 से 30 अप्रैल तक किसान भागीदारी, प्राथमिकता हमारी अभियान को बड़े उत्साह के साथ मनाया. इस अभियान के दौरान, मंत्रालय के सभी विभाग, ICAR सहित उसके अंतर्गत आने वाले संस्थान और देश भर के 700 से ज्यादा कृषि विज्ञान केंद्रों ने किसान मेला, सेमिनार और वर्कशॉप का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में सांसद, विधायक से लेकर केंद्रीय मंत्रियों तक की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखने को मिली. जब भारत अपनी आज़ादी के 100 साल पूरे करेगा और वो पीछे मुड़ कर देखे तो उसे स्वर्णिम कृषि क्षेत्र का भव्य दृश्य दिखाई देना चाहिए. हम सभी इसी कामना के साथ आत्मनिर्भर कृषि क्षेत्र और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की ओर बढ़ रहे हैं.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Narendra modi, PM Modi
FIRST PUBLISHED : May 30, 2022, 17:02 IST
Article Credite: Original Source(, All rights reserve)