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हाइलाइट्स

नैनीताल की बलियानाला पहाड़ी बेहद ही संवेदनशील है.
यह पहाड़ी 60 सेंटीमीटर से लेकर 1 मीटर तक अपनी जगह से खिसक रही है.
बलियानाला पहाड़ी की तलहटी से ही नैनी झील का अधिक पानी निकलता है.

हिमांशु जोशी

नैनीताल. उत्तराखंड का नैनीताल विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है. हर साल यहां लाखों की तादाद में पर्यटक पहुंचते हैं. नैनी झील जितनी सुंदर है, उतनी ही सुंदर यहां की पहाड़ियां भी हैं. हालांकि यह पहाड़ियां ही अब नैनीताल के भविष्य के लिए खतरा बन रही हैं. भू-वैज्ञानिकों की मानें तो नैनीताल की पहाड़ियों में लगातार दरारें बढ़ रही हैं, जिसका परिणाम भूस्खलन के रूप में देखने को मिल रहा है.

शहर की बलियानाला पहाड़ी बेहद ही संवेदनशील है. वर्षों से इस पहाड़ी पर भूस्खलन हो रहा है. भू-वैज्ञानिकों की मानें तो हर साल पहाड़ी 60 सेंटीमीटर से लेकर 1 मीटर तक अपनी जगह से खिसक रही है. इस पहाड़ी के ट्रीटमेंट को लेकर वर्षों से काम किया जा रहा है. इस पर करोड़ों रुपये भी खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन आज तक इसका कोई स्थायी ट्रीटमेंट नहीं हो सका है. इस पहाड़ी से होने वाले भूस्खलन का इतिहास करीब 155 साल पुराना है. पहाड़ी की तलहटी से ही नैनी झील का अधिक पानी निकलता है. जिस वजह से यहां होने वाला भूस्खलन नैनीताल शहर और झील के लिए काफी खतरनाक है.

इसके अलावा ठंडी सड़क से सटी पहाड़ी में भी पिछले एक साल से भूस्खलन हो रहा है. इसके ट्रीटमेंट के लिए भी लाखों रुपये खर्च किए जा चुके हैं लेकिन अभी तक यह सफल नहीं हो पाया है. मल्लीताल क्षेत्र के साथ लगती पहाड़ी भी काफी संवेदनशील है. जुलाई के महीने की 23 तारीख को भारी बारिश के चलते क्षेत्र में भूस्खलन देखने को मिला था, जिस वजह से काफी मकान खतरे की जद में आ गए थे. बीती 29 जुलाई को नैनीताल के पाइन्स क्षेत्र के नजदीक भी पहाड़ी का एक हिस्सा टूट गया था, जिस वजह से नैनीताल-भवाली रोड टूट गई और आवाजाही पूरी तरह से बंद हो गई.

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नैनीताल शहर में गाड़ियों का दबाव बना मुश्किल
पर्यावरणविद रमेश चंद्रा बताते हैं कि नैनीताल शहर में गाड़ियों का दबाव काफी ज्यादा बढ़ गया है. जिस वजह से पिछले कुछ वर्षों की अपेक्षा पिछले साल और इस साल ज्यादा भूस्खलन देखने को मिल रहा है. अगर ऐसा ही रहता है, तो यह नैनीताल के लिए बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकता है.

नैनीताल के एसडीएम राहुल शाह ने बताया कि संवेदनशील इलाकों को देखते हुए वहां रह रही आबादी को ज्यादा मौसम खराब होने या आपातकाल के चलते वहां से सुरक्षित जगह पर जाने के लिए नोटिस दे दिया जाता है. प्रशासन द्वारा उनके लिए अस्थायी जगह का भी चयन किया जाता है.

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