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हाइलाइट्स

बाड़मेर के नागणेचियां माता के मंदिर में आते हैं मुसलमान भक्त
ये परंपरा आज से नहीं बल्कि पिछले 400 बरसों से चलती आ रही है
पश्चिमी राजस्थान में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा हुआ बाड़मेर जिला

बाड़मेर: नवरात्रि का त्यौहार चल रहा है और देशभर में भक्त माताजी के अलग-अलग मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना कर रहे हैं. ऐसे में कई मंदिरों का अलग-अलग इतिहास और कहानियां निकलकर सामने आ रही हैं जो अपने आप में अनूठे हैं. आज हम आपको एक ऐसे मंदिर की कहानी बता रहे हैं जो सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल है. सीमावर्ती बाड़मेर जिले के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में नागणेचियां माता का मंदिर स्थित है. वहां धर्म के नाम पर बंटवारा नहीं है बल्कि आपसी भाईचारा बनाए रखने के लिए हिन्दू और मुस्लिम समुदाय एक साथ पूजा अर्चना करते हैं.

माताजी के जिस मंदिर की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं उसको सुनकर आप हैरान जरूर होंगे लेकिन यह सच्चाई है. पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर जिले के उनरोड गांव में नागणेची माता जी का यह मंदिर स्थित है. यहां पर हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिम धर्म के लोग भी माता की पूजा करते हैं और नवरात्रि में व्रत रखकर मां से मनोकामना करते हैं. यहां लोग सामाजिक सौहार्द्र एवं आपसी भाईचारा रखने के संदेश के साथ-साथ मां के प्रति श्रद्धा रखने का अनूठा उदाहरण पेश करते हैं.

Nagnechiyan Mata Temple

बाड़मेर की नागणेचियां माता की आराधना हिन्दू-मुसलमान अपने क्षेत्र की ख़ुशहाली के लिए पिछले 400 वर्षो से करते आ रहे हैं. नागणेचियां माता राजस्थान के राठौड़ राजवंश की कुलदेवी भी मानी जाती हैं. (फोटो-न्यूज़18)

हिन्दू-मुसलमान क्यों करते हैं माता की उपासना
भारत और पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बसे बाड़मेर जिले का एक छोटा सा गांव उनरोड है. वहां पर माताजी के मंदिर में हिंदू और मुस्लिम एक साथ पूजा करते हैं. तब कई लोग सोचते हैं कि ऐसा कैसे हो गया?  लेकिन आज से नहीं बल्कि पिछले 400 वर्षों से यहां पर दोनों धर्मों के लोग माताजी के मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं. इसके साथ ही नवरात्रि के त्यौहार पर मुस्लिम धर्म के लोग भी व्रत रखते हैं. इस गांव में रहने वाले लोगों का कहना है कि यहां पर नागणेची माता जी का मंदिर है और करीब 22000 बीघा में ओरण भी है.

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Nagnechiyan Mata Templeनागणेचियां की आराधना करते ग्रामवासी. यह परंपरा 400 बरसों से चली आ रही है  (फोटो-न्यूज़18)

इस परंपरा के पीछे क्या है कहानी?
ग्रामीणों के मुताबिक आज से करीब 400 वर्ष पूर्व गांव के एक व्यक्ति को माताजी ने पर्चा (चमत्कार) दिया था. उसके बाद से यहां पर सब लोग आते हैं और पूजा करते हैं. ग्रामीणों के अनुसार हमारे क्षेत्र की खासियत है कि हम लोग सदैव आपस में भाईचारा रखते हैं और मिलजुल कर रहते हैं. प्रत्येक व्यक्ति के मन में श्रद्धा होती है और मां की भक्ति तो सदैव व्यक्त करते रहते हैं. मां भी उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं. बस यही कारण है कि सभी धर्मों के लोग मां के दरबार में आकर मत्था टेकते हैं. मां नागणेची भी उनकी हर मनोकामना पूरी कर देती हैं.

Tags: Barmer news, Dussehra Festival, Hindu-Muslim, Navratri, Rajasthan news

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