
कोलकाता: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन में विफल रहने के कारण पश्चिम बंगाल पर 3,500 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा लगाया है. हरित पीठ ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने शहरी क्षेत्रों में ठोस और मलजल उपचार संयंत्रों को प्राथमिकता देने में खास पहल नहीं की है.
न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्देश दिया कि छह महीने के भीतर उपचारात्मक कदम उठाए जाने चाहिए. पीठ ने एक सितंबर को पारित आदेश में राज्य सरकार को 3,500 करोड़ रुपये मुआवजा भरने का आदेश दिया.
एनजीटी ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार के बजट 2022-23 में शहरी विकास और नगर पालिका से जुड़े मामलों पर करीब 12818 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान किया गया था. लेकिन राज्य सरकार ने इस दिशा में कोई गंभीरता नहीं दिखाई. राष्ट्रीय हरित अभिकरण के अनुसार, पश्चिम बंगाल के शहरी इलाकों में प्रतिदिन 2758 मिलियन सीवेज उत्पन्न होता है जबकि 44 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए ट्रीटमेंट की क्षमता सिर्फ 1505.85 एमएलडी है. इसलिए महज 1268 एमएलडी सीवेज का ट्रीटमेंट किया जाता है और 1490 एमएलडी सीवेज बिना ट्रीटमेंट के रह जाता है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
FIRST PUBLISHED : September 04, 2022, 09:52 IST
Article Credite: Original Source(, All rights reserve)