
नई दिल्ली. गृह मंत्री अमित शाह का जम्मू कश्मीर दौरा हर मायने में खास रहा. 4-5 अक्टूबर को शाह ने जो समां बांधा, उससे ये साफ होने लगा है कि राज्य के हालात अब सुधरने लगे हैं. बारामूला की बड़ी रैली में आने वालों की संख्या देख कर गृहमंत्री समेत पूरी बीजेपी के चेहरे पर मुस्कान वापस आ गयी. खास बात ये कि आतंक के गढ़ माने जाने वाले बारामूला में 35 साल के बाद दिल्ली से किसी भी कैबिनेट मंत्री की ये पहली रैली थी. रैली में आने वाले लोगों की लंबी कतारें और दो पतले गेटों से रैली स्थल शौकत अली स्टेडियम में घुसते लोगों के चेहरे पर उत्साह देखते ही बन रहा था. स्थानीय लोगों और प्रशासन का मानना था कि अब तक बारामूला में हुई तमाम रैलियों में ये सबसे बड़ी रैली थी. अमित शाह ने पास की मस्जिद में हो रहे अजान को देख कर अपना भाषण भी थोड़ी देर के लिए रोका और फिर लोगों से इजाजत लेकर दोबारा भाषण शुरू किया. इस रैली की खास बात ये थी कि अमित शाह ने जब भारत माता की जय के नारे लगाए तो पूरा का पूरा रैली स्थल भारत माता की जय के नारे से गूंज उठा था.
संदेश साफ है कि जनता अब हाथ में पत्थर नहीं रोजगार चाहती है. गृह मंत्री शाह ने रैली में कहा कि जिन युवाओं के हाथ में पत्थर होते थे, उन्हें पीएम मोदी की सरकार ने रोजगार दिया है. साथ ही शाह वहां की जनता को ये जताने से नहीं चूके कि पहले जम्मू कश्मीर में रोज कर्फ्यू और हड़तालें होती थीं. इसका ऐलान भी दूसरे देश से होता था और इसका पालन भी कश्मीर में बैठे लोग करते थे, लेकिन अब केन्द्र शासित प्रदेश में न तो हड़ताल है और न ही उसका पालन करने और महिमामंडन करने की किसी में हिम्मत है. अमित शाह ने राज्य के सुरक्षा हालात की भी समीक्षा की और सेना, पुलिस और प्रशासन को सीधा निर्देश भी दिया कि आतंकवाद, आतंकवादी और उनके समर्थकों को जड़ से खत्म करने मे लग जाएं.
अमित शाह रैली में भी पाकिस्तान के साथ बातचीत करने की वकालत करने वालों पर जमकर बरसे. अमित शाह का मानना है कि अगर बातचीत होनी है तो पहले पाकिस्तान को अपनी गलती स्वीकार करनी चाहिए. उनके दौरे की खास बात ये है कि आतंकवादियों के हाथों मारे गए पुलिस के जवान परवेज अहमद डार के घर उन्हें श्रद्धांजलि देने अमित शाह खुद 1200 फीट पहाड़ी पर चढ़कर गए. सूत्रों के मुताबिक प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से कुछ ऐसा इंतजाम रखा था कि शहीद पुलिस के जवान के घर से नीचे सड़क पर ही कार्यक्रम पूरा हो जाए. लेकिन जब अमित शाह पहुंचे तो शहीद की बेटी ने उनसे भावुक अपील कर डाली की उसकी दादी यानी शहीद की मां ऊपर घर पर हैं और पिताजी की कब्र भी ऊपर ही है. फिर क्या था अमित शाह ने 1200 फीट चढ़ाई करने की हामी भर दी और ऊपर जाकर उनके परिवार वालों से भी मिले और शहीद की कब्र पर श्रद्धांजलि भी दी.
अमित शाह ने ट्वीट कर बताया कि ‘उन्हें और पूरे देश को डार की बहादुरी पर गर्व है.’ गृह मंत्री ने डार के परिजनों से भेंट की और उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी दी गयी. पीएम मोदी ने नए जम्मू कश्मीर की जो कल्पना की है उसे साकार करने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस पूरी तन्मयता से प्रयासरत है. ये गृह मंत्री की ओर से उन तमाम परिवारों और पुलिस वालों को आश्वासन था कि इस लड़ाई में मोदी सरकार हर तरह से उनका साथ देगी. साथ ही शाह ने ये भी ऐलान कर दिया कि गुज्जर, बकरवाल और पहाड़ी समुदायों को जस्टिस शर्मा कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक आरक्षण का फायदा मिलेगा.
आखिर में बात चुनावों की. अमित शाह ने कश्मीर की जनता को आश्वस्त किया कि विधानसभा चुनाव पूरी तरह से पारदर्शी होंगे और एक बार चुनाव आयोग रिवाइज्ड मतदाता सूची जारी कर देता है तो उसके बाद फैसला लिया जाएगा. जानकारी के लिए बता दें कि राज्य में मतदाता सूची को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है और अगले एक महीने में पूरी हो जाने की संभावना है. अमित शाह ने दो टूक कहा कि पहले जम्मू और कश्मीर में परिसीमन सिर्फ तीन परिवारों के लिए होता था, लेकिन आजादी के बाद पहली बार कश्मीर में सही मायने में परिसीमन हुआ है, जिसमें पहाड़ी लोगों को अधिकार मिला है. सूत्रों के मुताबिक एक चुनाव क्षेत्र से कई किलोमीटर दूर छह गांवों को सिर्फ इसलिए उस क्षेत्र में शामिल कर लिया गया क्योंकि इन गांवों का रिश्ता शेख अब्दुल्ला से था.
बात करें चुनावों की तो मतदाताओं को कुल चार श्रेणियों में बांटा गया है. पहली श्रेणी है पाकिस्तान से आने वाले 1.46 लाख लोग. दूसरी श्रेणी है जम्मू कश्मीर से देश भर में बसे चार लाख लोग जिनकी वोटिंग की व्यवस्था वहीं की जाती है, जहां वो रह रहे हैं. पाक अधिकृत कश्मीर से आए 1.86 लाख लोग और चौथी श्रेणी है जम्मू कश्मीर में 15 साल से रह रहे मतदाता. डिप्टी कलेक्टरों की निगरानी में लगातार मतदाता सूची की पड़ताल चल रही है.
चुनाव आयोग भी विस्तार से सूची की गहन छानबीन कर रहा है. बीजेपी पूरी ताकत से चुनाव लड़ेगी और कुछ छोटी पार्टियों से गठबंधन हो सकता है. खास कर वो पार्टियां जिनका हुरियत से कोई रिश्ता नहीं रहा हो. जाहिर है कश्मीर कि फिजां बदल रही है और कमान जनता के हाथ सौंपने की तैयारियां भी अंतिम चरण में हैं.
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Tags: Amit shah, Jammu and kashmir
FIRST PUBLISHED : October 07, 2022, 11:20 IST
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