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हाइलाइट्स

केंद्र सरकार ने पीएफआई पर लगाए गए बैन के फैसले की समीक्षा के लिए एक अनुकरण का गठन किया है.
पीएफआई और इसके सहयोगी संगठनों को गत 28 सितंबर को प्रतिबंधित कर दिया गया था.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी करके अधिकरण के गठन का ऐलान किया.

नई दिल्ली. कुछ दिन पूर्व देशव्यापी छापेमारी के बाद केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर पाबंदी लगा दिया. जिसका पूर्ण रूप से समर्थन किया जा रहा है. हालांकि कुछ संगठन सरकार के इस फैसले का विरोध भी कर रहे हैं. इस बीच केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को एक अधिकरण का गठन किया, जो इस बात पर निर्णय लेगा कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर लगाई गई पाबंदी न्यायोचित है या नहीं. अधिकरण फैसला करेगा कि पीएफआई और इसके आठ अन्य सहयोगी समूहों को प्रतिबंधित करने के पर्याप्त आधार मौजूद है या नहीं.

अधिकरण में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा को शामिल किया गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी करके अधिकरण के गठन का ऐलान किया. अधिसूचना में कहा गया कि, ‘‘केंद्र सरकार ने एक गैर कानूनी गतिविधि (प्रतिषेध) अधिकरण गठित किया है, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा शामिल हैं. इस अधिकरण का मकसद यह निर्णय लेना है कि पीएफआई और इसके सहयोगी संगठनों को प्रतिबंधित घोषित करने का प्रर्याप्त कारण मौजूद है या नहीं.

बता दें कि पीएफआई के सहयोगी संगठनों में रिहेब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कंफेडेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट ऑर्गेनाइजेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल वूमन्स फ्रंट, जूनियर फ्रंट और इंपावर इंडिया फाउंडेशन एंड रिहेब फाउंडेशन, केरल शामिल हैं.

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देश में विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने और वैश्विक आतंकी संगठनों से कथित संबंध को लेकर आतंक निरोधक कानून यूएपीए के तहत पीएफआई और इसके सहयोगी संगठनों को गत 28 सितंबर को प्रतिबंधित कर दिया गया था. वहीं एनआईए और अन्य एजेंसियों ने देश के कई राज्यों में छापेमारी कर सैंकड़ों पीएफआई के कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया था. छापेमारी और प्रतिबंध को लेकर पिछले कई महीनों से सरकार की तरफ से तैयारी चल रही थी.

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