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रिपोर्ट -सृजित अवस्थी

पीलीभीत. देश आजादी का 75वां अमृत महोत्सव मना रहा है, लेकिन यूपी के पीलीभीत जिला में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी एक ऐसी जगह है, जहां ना सिर्फ आंदोलन की रूप रेखा तैयार की जाती थी बल्कि आंदोलन के नेतृत्व और लोगों से जुड़ाव के साथ रणनीति भी बनाई जाती थी. आज वो स्मारक अब नगर पालिका की अनदेखी के कारण आंसू बहा रहा है.

इतिहासकारों का कहना है कि देश में जब आंदोलन तेज हुआ तो अंग्रेजी सिपाहियों से बचने के लिए क्रांतिकारी गुप्त तरीके से मीटिंग करने लगे, लेकिन पीलीभीत जिले के क्रांतिकारियों के पास बैठक करने के लिए और रणनीति बनाने के लिए कोई तय स्थान नहीं था. ऐसे में शहर के साहू परिवार से ताल्लुक रखने वाले साहू रामस्वरूप ने एक जगह आंदोलन के नाम दान कर दी थी, ताकि सभी क्रांतिकारी एक जगह एकत्रित हो सकें.जिसे आज रामस्वरूप पार्क के नाम से जाना जाता है.

जब अटल ने किया था नमन
आजादी से पहले की बात करें या फिर आजादी के बाद की, रामस्वरूप पार्क का जिक्र आना तय है. दरअसल हर जुलूस इसी स्थान से शुरू हो कर यहीं समाप्त होता था. आजादी के दीवाने यहीं से अपनी आवाज बुलंद करते थे. ‘भारत रत्न’ श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी भी अपने पीलीभीत दौरे के दौरान रामस्वरूप पार्क में आए थे. उन्होंने पार्क में जिले के क्रांतिकारियों को नमन कर श्रद्धांजलि दी थी.

अनदेखी का शिकार हो रहा स्मारक
देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, क्रांति और क्रांतिकारियों को याद किया जा रहा, लेकिन पीलीभीत में क्रांतिकारियों से सीधे तौर पर जुड़ा ये पार्क नगर पालिका की अनदेखी का शिकार हो रहा है. पार्क में बड़ी-बड़ी घास उग आई हैं. मुख्य गेट पर व्यापारियों ने अतिक्रमण कर लिया है, लेकिन ना तो निगम को परवाह है और ना ही शासन-प्रशासन को. ऐसे ही चलता रहा तो बची-खुची यादें भी गंदगी से ढक जाएंगी.

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