
रिपोर्ट- हिमांशु जोशी
पिथौरागढ़. उत्तराखंड को देवभूमि के साथ वीर सैनिकों की भूमि भी कहा जाता है. यहां के सैनिकों ने अपने अद्भुत साहस से दुश्मनों को दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर किया है. कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijy Diwas) पर जब-जब भारत-पाकिस्तान युद्ध का जिक्र होता है, तो उत्तराखंड के वीर शहीद सैनिकों का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है. कारगिल के युद्ध में उत्तराखंड के 75 जवानों ने अपने साहस का परिचय देते हुए देश के लिए शहादत दी थी. सीमांत जिले पिथौरागढ़ में कारगिल विजय दिवस को शौर्य दिवस (Shaurya Diwas Pithoragarh) के रूप में मनाया गया.
कारगिल विजय दिवस पूरे देश में पूरे जोश के साथ मनाया जाता है. सीमांत जिला पिथौरागढ़ जहां हर घर से सैनिक देश सेवा में है, यहां कारगिल विजय दिवस को शौर्य दिवस के रूप में मनाया गया, जिसमें कारगिल युद्ध में शहीद हुए पिथौरागढ़ के चार वीर सैनिकों को याद कर उनके परिजनों को सम्मानित किया गया. पूर्व सैनिक संगठन ने वृक्षारोपण कर शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की.
पिथौरागढ़ के पूर्व सैनिक सूबेदार मेजर गोविंद सिंह बिष्ट ने कारगिल युद्ध के बारे में काफी कुछ बताया. उनकी पलटन ‘7 कुमाऊं’ ने भी इस युद्ध में भाग लिया था.
पिथौरागढ़ का शहीद स्मारक जहां पर सीमांत जिले के वीर शहीद सैनिकों के नाम अंकित हैं, जिन्हें देखकर ही यहां के सैनिकों के पराक्रम का अंदाजा लगाया जा सकता है. कारगिल युद्ध 3 मई 1999 को कश्मीर के कारगिल जिले में शुरू हुआ था, जिसे ऑपरेशन विजय भी कहा जाता है. 60 दिन तक चले इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. इस कारगिल युद्ध में सीमांत के वीर सैनिक शहीद जवाहर सिंह, शहीद किशन सिंह, शहीद गिरीश सामंत और शहीद कुंडल बेलाल ने पराक्रम दिखाते हुए अपने प्राण देश पर न्योछावर कर दिए थे.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Kargil war, Pithoragarh district, Pithoragarh news
FIRST PUBLISHED : July 27, 2022, 15:21 IST
Article Credite: Original Source(, All rights reserve)