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पटना36 मिनट पहले

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर अपनी जन सुराज’ पदयात्रा में फिर बिहार सरकार के मुखिया नीतीश कुमार को निशाने पर लिया। वह शुक्रवार को पूर्वी चंपारण के घोड़ासहन पहुंचे। यहां पर कहा कि अब बिहार के पैसे से दूसरे राज्यों में उद्योग धंधे हो रहे हैं। बिहार के बारे कहा कि यहां सिर्फ जाति के नाम पर ही वोट नहीं दिया जाता है। ऐसे भी चुनाव हुए जो जाति से ऊपर उठकर लोगों ने वोट किया। 20 साल में 5 चुनावों में लोगों ने जातियों से ऊपर उठकर वोट किया है।

अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि सरकार की नाकामी के वजह से बिहार बर्बाद हो रहा है। आज बिहार के पैसों से गुजरात, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में उद्योग लगाया जा रहा है। बिहार के लोग उन राज्यों में जाकर मजदूरी कर रहे हैं। मतलब बिहार को दोगुनी मार झेलनी पड़ रही है। राज्यों में पूंजी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी बैंकों की है। हम और आप बैंकों में पैसे जमा करते हैं और बैंक लोगों को लोन देती हैं। ताकि रोजगार के अवसर पैदा हो सकें।

उन्होंने कहा कि देश के स्तर पर क्रेडिट-डिपोजिट का आंकड़ा 70 प्रतिशत है और बिहार में यह आंकड़ा पिछले 10 सालों से 25-40 प्रतिशत रहा है। लालू जी के जमाने में यह आंकड़ा 20 प्रतिशत से भी नीचे था। नीतीश जी के 17 साल के कार्यकाल में यह औसत 35 प्रतिशत है जो पिछले साल 40 प्रतिशत था। इसका मतलब है कि बिहार में जो भी पैसा बैंकों में लोग जमा करा रहे हैं, उसका केवल 40% ही ऋण के तौर पर लोगों के लिए उपलब्ध है। जबकि विकसित राज्यों में 80 से 90 प्रतिशत तक बैंकों में जमा राशि ऋण के लिए उपलब्ध है।

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आगे उन्होंने कहा कि बिहार के नेता क्रेडिट-डिपोजिट पर बात ही नहीं करते। बिहार के नेताओं को इन सब बातों की जानकारी भी नहीं है। ये बिहार का दुर्भाग्य है कि यहां के आम लोग भी इन मुद्दों पर चर्चा नहीं कर रहे हैं। पत्रकारों से मेरी गुजारिश है कि वह इन मुद्दों को बारीकी से उठाएं, ताकि इस पर पूरे बिहार में चर्चा हो सके।

20 साल में हुए 5 चुनावों में लोगों ने जातियों से ऊपर उठकर वोट किया

बिहार के चुनाव में जातिगत राजनीति हावी रहती है। इस सवाल पर जवाब देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि हमने जातिगत राजनीति वाली मानसिकता को ज्यादा हवा दे दी है। मैं आपको ऐसे 5 चुनाव बता सकता हूं, जिसमें बिहार के लोगों ने जातिगत राजनीति से ऊपर उठ कर वोट किया है।

1984 में इंदिरा गांधी की मृत्यु से उपजी हुई सहानुभूति की लहर में लोगों ने जातियों से ऊपर उठकर वोट किया था। 1989 में बोफोर्स के मुद्दे पर देश में वीपी सिंह की सरकार बनी थी। 2014 में नरेंद्र मोदी के चेहरे पर पूरे देश के लोगों ने भाजपा को वोट किया। 2019 में राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों के नाम पर वोट किया।

कहा कि इतना ही नहीं, पूरे बिहार के लोगों ने बीजेपी को फिर से सरकार बनाने का मौका दिया। इसलिए यह कहना गलत होगा कि बिहार के लोग केवल जातिगत आधार पर वोट करते हैं। चुनावों में जाति एक फैक्टर हो सकता है, लेकिन बिहार में भी ये उतना ही बड़ा फैक्टर है, जितना दूसरे राज्यों में है।

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कुढ़नी उपचुनाव में बीजेपी की जीत के बाद बिहार से लेकर दिल्ली तक सियासत तेज हो गई है। कुढ़नी से बीजेपी के केदार गुप्ता की जीत को प्रधानमंत्री मोदी ने आने वाले दिनों का संकेत बताया। साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि बिहार की जनता पीएम के साथ है। इधर कुढ़नी में हार होने पर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि हम हार की समीक्षा करेंगे। साथ ही प्रधानमंत्री के बयान पर कहा कि पीएम मोदी मोकामा उपचुनाव के परिणाम पर चुप क्यों थे, उस वक्त कुछ क्यों नहीं कहा। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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