sc e0a495e0a587 e0a4abe0a588e0a4b8e0a4b2e0a587 e0a4b8e0a587 e0a495e0a4b0e0a58de0a4aee0a49ae0a4bee0a4b0e0a4bfe0a4afe0a58be0a482 e0a495
sc e0a495e0a587 e0a4abe0a588e0a4b8e0a4b2e0a587 e0a4b8e0a587 e0a495e0a4b0e0a58de0a4aee0a49ae0a4bee0a4b0e0a4bfe0a4afe0a58be0a482 e0a495 1

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने साल 2014 की कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना को लेकर बड़ा फैसला किया है. शीर्ष अदालत ने Employees’ Pension (Amendment) Scheme, 2014 की वैधता को बरकरार रखा है, जिसके बाद 2014 से पहले विस्तारित पेंशन कवरेज को न अपनाने वाले पात्र कर्मचारी (Eligible Employees) भी अगले 4 महीने में इसका हिस्सा बन सकते हैं.

इस फैसले के बाद एक सितंबर 2014 तक ईपीएस के मौजूदा सदस्य रहे कर्मचारी अपने ‘वास्तविक’ वेतन का 8.33 फीसदी तक योगदान दे सकते हैं. पहले वे पेंशन-योग्य वेतन का 8.33 फीसदी योगदान ही दे पाते थे और इसकी भी अधिकतम सीमा 15 हजार रुपये प्रतिमाह तय थी लेकिन अब कर्मचारी इस योजना में अधिक योगदान दे सकेंगे और अधिक लाभ भी पा सकेंगे.

ये भी पढ़ें- क्या है कर्मचारी पेंशन योजना 2014, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया है बड़ा फैसला, यूं होगा लोगों को लाभ

इसके साथ ही कोर्ट ने 2014 के संशोधनों में उन शर्त को शुक्रवार को निरस्त कर दिया जिसमें कर्मचारी के लिए 15 हजार प्रतिमाह से अधिक के वेतन का 1.16 फीसदी योगदान अनिवार्य किया गया था.

ये भी पढ़ें- बड़ी खुशखबरी! PF अकाउंट में क्रेडिट हुआ ब्याज का पैसा, आप भी चेक कर लें अपना बैलेंस

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कर्मचारी संगठनों ने मांग की है कि सरकार रिटायरमेंट फंड बॉडी ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड के ट्रस्टी की असाधारण बैठक बुलाए ताकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को जल्द लागू किया जा सके.

अगस्त 2014 में पेंशन योजना में संशोधन करते हुए पेंशनयोग्य वेतन की अधिकतम सीमा 15,000 रुपये प्रतिमाह कर दी गई थी जो पहले 6,500 रुपये प्रतिमाह थी. इससे सदस्य और उनके नियोक्ता के लिए वास्तविक वेतनों का 8.33 फीसदी योगदान संभव हो सका.

READ More...  Indian Railways: छत्‍तीसगढ़ की इन ट्रेनों में नहीं होगी सीट की मारा मारी, रेलवे ने यात्र‍ियों के ल‍िए क‍िए ये खास इंतजाम

Tags: Employees’ Provident Fund (EPF), Employment Provident Fund Organisation, EPFO subscribers, Supreme Court

Article Credite: Original Source(, All rights reserve)