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अंकित कुमार सिंह

बिहार. बिहार के सीवान जिले में मौजूद 700 साल पुरानी एक रहस्यमई गुफा का संपर्क पाताल से है. इस गुफा का मुंह भूलभुलैया की तरफ चारों दिशाओं में निकला हुआ है जिसका अंत कहां होगा और कहां यह निकलेगा, यह कहां तक जाएगा इसका पता किसी को नहीं है. इस रहस्य का पता आज तक कोई नहीं लगा पाया है. इस रहस्य को जानने के लिए कई लोगों ने अथक प्रयास किया, लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हुई कि वो गुफा के अंदर प्रवेश कर उसका पता लगा सके. क्योंकि इस गुफा के अंदर प्रवेश कर पाना संभव नहीं है. जमीन के अंदर गुफा के होने की वजह से ऑक्सीजन लेवल काफी कम है. बिना ऑक्सीजन के अंदर जाना खतरे से खाली नहीं है. जो लोग हिम्मत जुटाकर इसके अंदर गए वो केवल एक से दो कमरे तक ही जा सके और पुनः बाहर निकल आए.

वहीं, वहां मंदिर भी है जहां आज भी पूजा होती है. यह रहस्यमयी गुफा देखने के लिए दूर-दराज से भी लोग पहुंचते हैं. गुफा और इसको बनाने वाले राजा की कहानी यहां बच्चे-बच्चे तक को मालूम है

700 वर्ष का इतिहास अपने अंदर समेटे हुए है यह गुफा

बता दें कि सीवान जिले के भगवानपुर हाट प्रखंड के महमदागढ़ गांव में 700 साल पुराना जमीन के अंदर यह गुफा है. इस गुफा को 700 साल पहले राजा धीरा राय ने बनवाया था जहां वो अपने परिवार के साथ रहते थे. गुफा चारों तरफ तालाब से घिरा हुआ है जिसमें आज भी पानी है. वहीं, उसके ऊपर पूरी तरीके से टीलानुमा मिट्टी जमा है जो गढ़ का रूप लिया हुआ है. इस पर लोग आवागमन करते हैं या घूमते-फिरते हैं. गुफा के परिसर में एक मंदिर स्थित है जहां आज भी लोग पूजा-अर्चना करते हैं. चारों तरफ से गुफा को घेरे तालाब पर लगभग 400 बड़े-बड़े वृक्ष हैं जो गढ़ की खूबसूरती बढ़ाती है.

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धीरा राजा परिवार के साथ करते थे निवास

भगवानपुर हाल्ट के महमदागढ़ गुफा में आज से 700 साल पहले धीरा राय नाम के राजा अपने परिवार व प्रजा के साथ निवास करते थे. उस समय यह उनका महल हुआ करता था जो जमीन के अंदर बनवाया गया था ताकि संकट के समय वो शत्रुओं से सुरक्षित रहें. सुरक्षित रहने तथा आपात स्थिति में दुश्मनों से निपटने के लिए गुफा को भूलभुलैया का आकार देकर चारों दिशाओं में उसका मुंह रखा गया था ताकि शत्रु जब कभी हमला करे तो वो भूलभुलैया में खो जाए. इस खुफिया महल को सुरक्षित रखने के लिए चारों तरफ तालाब की खुदाई करवाई गई थी ताकि कोई इसमें प्रवेश नहीं कर पाए.

घोड़ा नही रहने से गुफा महल पर हुआ था कब्जा

इस गुफा महल को बनवाने वाले राजा धीरा राय ने गुफा को काफी सुरक्षित रखने का प्रयास किया था. इसके बावजूद भी बड़हरिया के राजा के द्वारा हमला कर इस पर कब्जा जमा लिया गया था. राजा के पास उड़ने वाला घोड़ा था, जो षड्यंत्र के तहत सुनियोजित तरीके से चोरी कर लिया गया था. घोड़ा चोरी होने से राजा काफी व्याकुल थे. तभी बड़हरिया राजा ने हमला कर उनको मार डाला था. कहा जाता है कि उड़ने वाले घोड़े की मदद से राजा धीरा ने कई लड़ाइयां जीती थी. घोड़ा रहते उनको हराना संभव नहीं था. यही कारण था कि उड़ने वाले घोड़े की चोरी करवाई गयी थी.

गुफा का पाताल से सीधा संपर्क

स्थानीय लोग बताते हैं कि राजा ने गुफा को जमीन के अंदर बनवाया था. कई खुफिया रास्ते जमीन के अंदर ही अंदर बनाए गए थे जो गुफा से काफी दूर निकलते थे. इन रास्तों का लाग पाताल तक था. हालांकि आज अंदर की क्या स्थित है यह किसी को मालूम नहीं है.

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महमदागढ़ गुफा लगभग 400 साल से बंद है. इसके अंदर आज तक कोई नहीं गया है, और न ही कोई जाने की जुर्रत करता है. स्थानीय लोगों की मानें तो बड़हरिया राजा की मौत के बाद उनके बेटे ने गुफा पर कब्जा कर लिया था. हालांकि उनके निधन के बाद यह रहस्यमयी गुफा बंद हो गया.

क्या कहते हैं और स्थानीय पुजारी

स्थानीय पुजारी कपिल मुनि ने न्यूज़ 18 लोकल को बताया कि गुफा में राजा धीरा राय निवास करते थे. यह उनका बनाया हुआ गुफा है जो आज भी जमीन के अंदर है. जबसे से यह गुफा बंद हुआ है इसके अंदर कोई नहीं जा सका और न ही जाने की किसी ने हिम्मत दिखाई है. इसके अंदर क्या है यह किसी को नहीं मालूम है. जो अब रहस्य का विषय बना हुआ है.

Tags: Bihar News in hindi, Siwan news

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