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हाइलाइट्स

एसएसएलवी-डी 1 ने उपग्रहों को पृथ्वी की अंडाकार कक्षा की बजाय चक्रीय कक्षा में रख दिया.
34 मीटर लंबे रॉकेट ने रविवार को करीब साढ़े सात घंटे तक चली उलटी गिनती के बाद उड़ान भरी.
एसएसएलवी टर्मिनल चरण में ‘डेटा लॉस’ का शिकार हो गया और उससे संपर्क टूट गया.

श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश). भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने रविवार को कहा कि एसएसएलवी-डी 1 ने उपग्रहों को पृथ्वी की अंडाकार कक्षा की बजाय चक्रीय कक्षा में रख दिया, जिसके बाद वे उपग्रह इस्तेमाल के योग्य नहीं रह गए हैं. अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि एक समिति घटनाक्रम का विश्लेषण कर अपनी सिफारिशें देगी. और उन सिफारिशों के कार्यान्वयन के जरिए ‘इसरो जल्द ही छोटा उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी)-डी 2 पेश करेगा.’

इसरो ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘एसएसएलवी-डी 1 ने उपग्रहों को 356 किमी वृत्ताकार कक्षा के बजाय 356 किमी गुणा 76 किमी अण्डाकार कक्षा में रख दिया जिसके बाद ये उपग्रह उपयोग के योग्य नहीं रह गए हैं.’ अंतरिक्ष में एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह और छात्रों द्वारा विकसित एक उपग्रह को स्थापित करने के अभियान में एसएसएलवी-डी1/ईओएस-02 ने रविवार सुबह आसमान में बादल छाए रहने के बीच सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से नौ बजकर 18 मिनट पर उड़ान भरी. 34 मीटर लंबे रॉकेट ने रविवार को करीब साढ़े सात घंटे तक चली उलटी गिनती के बाद उड़ान भरी.

इससे पहले, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी का पहला छोटा उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) टर्मिनल चरण में ‘डेटा लॉस’ (सूचनाओं की हानि) का शिकार हो गया और उससे संपर्क टूट गया है. उन्होंने बताया कि हालांकि, बाकी के तीन चरणों ने उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन किया और अंतरिक्ष एजेंसी प्रक्षेपण यान तथा उपग्रहों की स्थिति का पता लगाने के लिए आंकड़ों का विश्लेषण कर रही है.

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सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में लगे स्क्रीन पर पृथ्वी अवलोकन उपग्रह और आजादीसैट को योजना के अनुसार अलग होते हुए देखा गया. अपने भरोसेमंद ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी), भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) के माध्यम से सफल अभियानों को अंजाम देने में एक खास जगह बनाने के बाद इसरो ने लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) से पहला प्रक्षेपण किया, जिसका उपयोग पृथ्वी की निचली कक्षा में उपग्रहों को स्थापित करने के लिए किया जाएगा.

इसरो ने इन्फ्रा-रेड बैंड में उन्नत ऑप्टिकल रिमोट सेंसिंग उपलब्ध कराने के लिए पृथ्वी अवलोकन उपग्रह का निर्माण किया है. ईओएस-02 अंतरिक्ष यान की लघु उपग्रह श्रृंखला का उपग्रह है. वहीं, ‘आजादीसैट’ में 75 अलग-अलग उपकरण हैं, जिनमें से प्रत्येक का वजन लगभग 50 ग्राम है. देशभर के ग्रामीण क्षेत्रों की छात्राओं को इन उपकरणों के निर्माण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा मार्गदर्शन प्रदान किया गया था, जो ‘स्पेस किड्स इंडिया’ की छात्र टीम के तहत काम कर रही हैं.

Tags: ISRO

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