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The Family Man 2 Review: द फॅमिली मैन सीजन 2 के छठे एपिसोड “मार्टायर” में श्रीलंका की तमिल स्वतंत्रता सेनानियों की कमांडो राजलक्ष्मी चंद्रन (समांथा अक्कीनेकी), नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी के श्रीकांत तिवारी (मनोज बाजपेयी) से हाथापाई करते हुए कहती है – मर्द है तो हाथ खोलो जिसके उत्तर में मनोज कहते हैं – मर्द बनने का कोई शौक़ नहीं है मुझे. ये एक डायलॉग पूरी वेब सीरीज की आत्मा है. कर्तव्यनिष्ठ मनोज बाजपेयी के मन में कोई फालतू का सुपर-हीरो कॉम्प्लेक्स नहीं है, वो अपनी भावनाओं को जाहिर नहीं होने देता और अगर किसी पल कमजोर पड़ने की उम्मीद हो भी तो हंसी में बात को टाल देता है.

अमेजॉन प्राइम वीडियो पर लम्बे इंतजार के बाद अंततः “द फॅमिली मैन” के सीजन 2 के सभी 9 एपिसोड रिलीज़ कर दिए गए. आशा के अनुरूप रात 12 बजे से ही लोगों ने इसे स्ट्रीम करना शुरू कर दिया था और सवेरे 8 बजे के आस पास ये टेलीग्राम एप पर अवैध रूप से उपलब्ध हो गयी थी. राज निदिमोरु और कृष्णा डीके, तिरुपति के श्री वेंकटेश्वरा कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग में साथ साथ पढ़ते थे, वहीं उनकी दोस्ती हुई और फिर वो यूएस चले गए सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग करने के लिए. वहीं, कहीं उनके दिमाग में फिल्म बनाने का ख्याल आया और उन्होंने अमेरिका में रहते हुए बनायीं “शादी.कॉम” और “फ्लेवर्स”. दोनों फिल्में कुछ खास चली तो नहीं मगर राज और डीके का नाम जरूर चल पड़ा.

The Family Man 2

मनोज बाजपेयी की इस वेब सीरीज का पहला सीजन ह‍िट रहा था.

2009 में बनायीं सोहा अली खान-कुणाल खेमू की फिल्म “नाइंटी नाइन”, जिसे क्रिटिक और दर्शकों ने बेहद पसंद किया. इनका नाम चला 2011 की फिल्म ‘शोर इन द सिटी” से. इन दोनों द्वारा निर्देशित और फिल्में हैं गो गोवा गॉन, डी फॉर डोपीडी, हैप्पी एंडिंग, अ जेंटलमैन और स्त्री. हाल ही में इनकी प्रोडक्शन कंपनी डी2 आर इंडी ने नेटफ्लिक्स के लिए बहुत ज़बरदस्त फिल्म का निर्माण भी किया- सिनेमा बंडी.

2019 में इन्होने चेम्बूर का जेम्स बॉन्ड के आयडिया के साथ अमेजॉन के लिए द फॅमिली मैन नाम की वेब सीरीज बनायीं जो की बहुत कामयाब हुई. पहले सीजन के समय से ही इसका दूसरा सीजन कब आएगा की कवायद शुरू हो चुकी थी. द फॅमिली मैन श्रीकांत तिवारी का किरदार निभा रहे हैं मनोज बाजपेयी जो कि एनआईए में अफसर हैं.उनकी पत्नी हैं सुचित्रा अय्यर तिवारी (प्रिया मणि). उनकी एक बेटी और एक छोटा बेटा है. संघर्ष इस बात का है कि मनोज अपने काम को लेकर काफी सीरियस हैं, और जैसे उम्र बढ़ रही है वो अपने गृहस्थ आश्रम और वानप्रस्थ आश्रम के बीच किसी दौर में फंस के रह गए हैं. जिस तरह की नौकरी है वो अपने बच्चों को बता नहीं सकते, और खतरों के बिना अब रहा भी नहीं जाता.

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पहले सीजन में मनोज, आईएसआईएस के टेररिस्ट्स का भारत में आतंकवाद फैलाने का प्लान फेल कर देते हैं और दूसरे सीजन में श्रीलंका के तमिल विद्रोहियों द्वारा प्रधानमंत्री की हत्या के षड्यंत्र को होने से पहले रोक लेते हैं. इन सब घटनाओं के साथ साथ मनोज की निजी ज़िन्दगी के अपने किस्से चलते रहते हैं, जैसे बेटी का बड़ा होना और उसका बॉयफ्रेंड होना, अपनी बेटी के फ़ोन को हैक करना, अपनी पत्नी के फ़ोन के ज़रिये उसकी लोकेशन पता करना, या पत्नी के कॉलेज के दोस्त के साथ उसका चक्कर होने का शक करना, डॉक्टर को अपनी ख़राब तबियत के बारे में न बताना जैसी बातों के अलावा, मनोज की ज़िन्दगी की सबसे बड़ी समस्या है काम के प्रति उनका कमिटमेंट और एक ही क्षण में अपनी भावनाओं पर नियंत्रण पाने की अद्भुत क्षमता.

Manoj Bajpayee, Samantha Akkineni, The Family Man 2 Review

मनोज बाजपेयी इस सीजन में आई फर्म में काम करते द‍िखेंगे.

सीजन 2 का कैनवास बहुत बड़ा है. पहले सीजन से हर मायने में बेहतर है. स्केल बड़ा है, दुश्मन बड़ा है, संकट बड़ा है, किरदार बेहतर हैं, कहानी में ट्विस्ट और मानवीय एंगल भी बेहतर दिखाए गए हैं, और सबसे बड़ी बात, सीजन 2 में स्क्रीन से नज़रें हटाना यानि कहानी का कोई न कोई महत्वपूर्ण हिस्सा खो देने की गारंटी है. भारत में इस तरह के जासूसी थ्रिलर, अंतर्राष्ट्रीय कॉन्स्पिरेसी और ह्यूमर का समावेश करती हुई कोई वेब सीरीज न आज तक बनी है और न कोई उम्मीद है दूसरी बना पाने की. शुरुआत में ही मनोज को एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करते हुए हुए दिखाया जाता है जिसका 28 साल का सीईओ, मनोज को कॉर्पोरेट भाषा में ज्ञान पेलता रहता है. डोंट बी अ मिनिमम मैन का ब्रम्ह वाक्य श्रीकांत को घुट्टी में मिला कर पिलाया जाता है. अपने टास्क फ़ोर्स के दिनों को मिस करता श्रीकांत, अपने नौजवान बॉस के इन्ही लेक्चर्स से परेशान हो कर उसकी धुलाई कर देता है और वापस टास्क फ़ोर्स चला जाता है.

इस सीजन को ध्यान से देखने पर समझ आता है कि द फॅमिली मैन वस्तुतः तो इस वेब सीरीज की महिलाओं की कहानी है. पहली कहानी है सुचित्रा तिवारी की जो अपने पति के ऐसे खतरों से भरी नौकरी से परेशान रहती है और उम्र के ऐसे पड़ाव में है जहां उसे पति का साथ तो चाहिए लेकिन उसे अपने पति से उस साथ का हक़ मांगने में गुस्सा आता है. वो अपने पति को कपल काउन्सलिंग के लिए लेकर जाती है जहाँ साइकेट्रिस्ट भी मोटिवेशनल बातें सुनाता है और श्रीकांत को अपने बॉस की याद आ जाती है और वो वहां से गुस्से में निकल जाता है.

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Manoj Bajpayee, Samantha Akkineni, The Family Man 2 Review

पूरी सीरीज में पति और पत्नी के बीच संबंधों में आयी बोरियत का बहुत उम्दा चित्रण है. दूसरी कहानी है श्रीकांत की बेटी की, जो अपने पिता को हमेशा बोरिंग समझती है और विद्रोह के तौर पर एक आवारा से लड़के से दोस्ती और प्रेम कर बैठती है. अपनी मां को भी वो अपने पिता का दुश्मन समझती है और उसे अपने बड़े होने की गलतफहमी इस क़दर होती है कि वो अपनी सहेली को भी बेवकूफ समझती है. अंत में उसका पिता ही उसको सही रास्ता दिखाता है और मुसीबत के समय में सही निर्णय लेने के लिए प्रेरित करता है लेकिन तब तलक इस युवा लड़की के अंदर भरे मुफ्त अहंकार से कहानी में ज़बरदस्त मोड़ आता है.

तीसरी कहानी है राजलक्ष्मी उर्फ़ राजी की जो कि श्रीलंका के जाफना इलाके से चेन्नई आती है क्योंकि उसके बेक़सूर पिता और भाई को श्रीलंका की सेना ने मौत के घात उतार दिया था. वो कमांडो है, बिना अस्त्र शस्त्र के लड़ना जानती है, हवाई जहाज उड़ा सकती है और उसे अपने मातृभूमि से बेइंतहा प्यार है और जिसके लिए वो अपना जिस्म सौंप कर भी अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए तैयार रहती है. और चौथी प्रमुख किरदार है देश की प्रधानमंत्री सुश्री बासु (सीमा बिस्वास) जो कि राज धर्म और राजनीती धर्म के बीच सामंजस्य बैठने की कोशिश करती रहती है और खुले आम देश की सिक्योरिटी एजेंसी को धमका देती है कि अगर वो एजेंसी प्रधानमंत्री की रक्षा नहीं कर सकती तो उसका बजट कम कर दिया जाएगा.

द फॅमिली मैन में निर्देशक राज और डीके के अलावा लेखक सुमन कुमार और डायलॉग राइटर सुमित अरोरा ने एक बार फिर साबित कर दिया कि हिंदी कॉन्टेंट के क्षेत्र में अच्छी राइटिंग क्या होती है. एक भी सीन ऐसा नहीं है जो पूरी सीरीज में मिसफिट नज़र आता है. पानी की तरह बहता स्क्रीनप्ले आपको सही मायने में “बिंज वॉचर” बना सकता है. सीजन 1 में तो आप फिर भी देखते हुए कुछ और कर सकते थे, इस सीजन में तो आपको आंखें स्क्रीन पर जमाये रखनी हैं. इस में बहुत से डायलॉग तमिल में हैं, हालांकि उनका अनुवाद आप स्क्रीन पर पढ़ सकते हैं, लेकिन भाषा की जानकारी न होना इस सीरीज को देखने में कहीं बाधा नहीं बनती. इस बार सिनेमेटोग्राफी का ज़िम्मा हॉलीवुड के कैमेरॉन ब्रायसन को दिया गया है. उनकी नज़र से दिखा चेन्नई इतना खूबसूरत पहले कभी नहीं लगा. रात के दृश्यों में भी डिफ्यूस्ड लाइटिंग से सीन का माहौल बनाये रखा है.

लेखकों को अगर द फॅमिली मैन लिखने के लिए 10 में से 10 नंबर दिए जायेंगे तो एडिटर सुमित कोटियन को शायद 10 में से 15 नंबर दिए जाना चाहिए. ये वेब सीरीज किसी भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सीरीज को टक्कर दे सकती है क्योंकि, इस सीरीज का एक भी सीन व्यर्थ नहीं है और एडिटिंग इतनी सफाई से की गयी है कि एक साथ 4 कहनियाँ चलती हैं मगर एक भी दूसरे से टकराती नहीं है. वैसे टाइटल म्यूजिक किशोर सोढा ने बनाया है जो कि बहुत ही अलग है और बहुत ही ज़बरदस्त है, इस बार बैकग्राउंड स्कोर सचिन-जिगर के सचिन ने बनाया है.

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अभिनय में कुछ नए चेहरे देखने को मिले, जो शायद हिंदी दर्शकों से अछूते रहे हैं. समांथा अक्कीनेकी, सुपरस्टार नागार्जुन की पुत्रवधू हैं, और एक बहुत प्रसिद्ध अदाकारा हैं. स्क्रिप्ट पढ़ कर उन्होंने ही राज और डीके को कन्विंस कर लिया था कि वो इस रोल में एकदम परफेक्ट हैं. ये वेब सीरीज, किसी भी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उनका पदार्पण है. उन्होंने अपने पहले ही मैच में धुआंदार सेंचुरी भी लगायी है और तेज़ गेंदबाज़ी से 5 विकेट भी लिए हैं. चेहरे को गहरा रंग देना, शारीरिक तौर पर फिट होना, हैंड टू हैंड कॉम्बैट करना और भाव-विहीन आँखों से अभिनय करना, समांथा ने राजी के रोल को जीवंत कर दिया.

मनोज, शारिब, प्रिया मणि, दलीप ताहिल, सीमा बिस्वास, विपिन शर्मा, शरद केलकर के अलावा छोटी भूमिका में सनी हिन्दूजा, अश्लेषा ठाकुर, दर्शन कुमार इत्यादि के अलावा तमिल कलाकारों ने अपनी नेचुरल एक्टिंग से सबको प्रभावित क्या. सेल्वा के किरदार में आनंद सामी, सुब्बू के किरदार में श्रीकृष्ण दयाल, इंस्पेक्टर उमायल के किरदार में देवदर्शिनी चेतन और एनआईए के चेन्नई के अफसर मुथु पांडियन के किरदार में रविंद्र विजय जैसे अभिनेताओं ने कद्दावर प्रस्तुति दी.

द फॅमिली मैन सीजन 2 को आज ही देख लेना चाहिए और अगर अभी तक सीजन 1 नहीं देखा है तो वो पहले देख लेना चाहिए क्योंकि थोड़े ही सही दोनों सीजन के तार आपस में जुड़े हैं. यकीन मानिये इसे एक बार आप देखना शुरू करेंगे तो आप अपने आप को रोक नहीं पाएंगे. वर्क फ्रॉम होम की तिलांजलि देनी पड़ सकती है और नींद की कुर्बानी. ये सीरीज देख कर यकीन कर सकते हैं कि हम भारतीय भी अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर की वेब सीरीज बना सकते हैं जो कहानी से लेकर प्रोडक्शन तक, हर क्षेत्र में अव्वल है.undefined

डिटेल्ड रेटिंग

कहानी :
स्क्रिनप्ल :
डायरेक्शन :
संगीत :

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