
The Last Mercenary Review: पहले सिर्फ अंग्रेजी फिल्मों में होता था कि हीरो बड़ी आसानी से सीक्रेट एजेंट दिखा दिया जाता था और वो अंडर कवर काम कर रहा होता था या वो एक्शन का सुपर हीरो होता था जो अकेला ही दुश्मन के गढ़ में जा कर सब कुछ ध्वस्त कर सकता था और उसे कई सारे काम आते थे. इसके ठीक विपरीत फ्रेंच सिनेमा हमेशा से कलात्मक सिनेमा के लिए जाना जाता था. एक नए किस्म की स्टोरी हुआ करती थी, रोमांस का अंदाज़ अलग होता था, किरदारों के आपसी संबंधों का एक नए किस्म का ताना बाना होता था. पिछले 10 सालों में सब बदल गया है और अब फ्रेंच में एक्शन फिल्म्स बनने लगी हैं. डेविड कैरोन (David Caron) की ताज़ा फिल्म “द लास्ट मर्सिनरी (The Last Mercenary)” इसी कड़ी में एक और नाम है, लेकिन इस फिल्म में सुपर हिट एक्शन हीरो ज्यां क्लॉड वैन डैम (ean-Claude Van Damme) की प्रसिद्ध एक्शन के बावजूद, फिल्म आशातीत प्रभाव नहीं छोड़ पायी. देखने लायक है, पसंद करने लायक नहीं है.
अमेरिकी पल्प फिक्शन में उपन्यास का हीरो असाधारण व्यक्ति होता है. उसमें कोई न कोई ऐसी विशेषता ज़रूरी होती है जिसके दम पर वो अपने बाक़ी साथियों से कहीं बेहतर साबित होता है. या तो वो बन्दूक चलाने में माहिर होता है या फिर उसे मार्शल आर्ट्स में पदक मिले हुए होते हैं, या फिर उसका शरीर सौष्ठव बहुत देखने लायक होता है या फिर चीन और जापान की बिना हथियारों के युद्ध करने के कला में वो निपुण होता है. ज्यां क्लॉड इसी तरह के हीरो हैं. मूलतः बेल्जियम के रहने वाले, 61 साल के ज्यां क्लॉड ने 1988 में एक फिल्म की थी – ब्लडस्पोर्ट्स. इसमें उन्हें ब्रूस ली की तरह एक अंडरग्राउंड मार्शल आर्ट्स टूर्नामेंट में भाग ले कर अपने कुल की प्रतिष्ठा कायम करनी थी. इस तरह के मार्शल आर्ट्स पहले नहीं देखे गए थे, फिल्म बहुत चली और चल पड़ा ज्यां क्लॉड का करियर. कई एक्शन फिल्मों में काम किया जिसमें से अधिकांश सफल भी रही. द लास्ट मर्सिनरी में भी ज्यां क्लॉड की इसी एक्शन हीरो इमेज को कॅपिटलाइज़ करने के इरादे से एक बड़ी पुरानी सी कहानी पर फिल्म बना दी.
ज्यां क्लॉड एक सीक्रेट सर्विस एजेंट की भूमिका में हैं जिनके बारे में कई तरह के किस्से प्रचलित हैं. कभी उन्हीं किसी ने देखा नहीं है, उन्होंने कई सीक्रेट मिशन अकेले ही निपटा दिए हैं और उनकी तुलना धुंध से की जाती है क्योंकि वो धुंध में कुछ दिखाई नहीं देता. किसी मिशन में उन्हें प्यार हो जाता है और उनकी प्रेमिका गर्भवती हो जाती है. सीक्रेट सर्विस में रिश्ते बनाने का काम सिर्फ ज़रुरत के लिए किया जाता है और इसके चलते ज्यां क्लॉड को अपनी प्रेमिका को छोड़ना पड़ता है और अंडरग्राउंड होना पड़ता है. इसके बदले वो सरकार से अपने होने वाले बेटे के लालन पालन का पूरा खर्चा, उसे पूरी तरह से संरक्षण देने की मांग करते हैं. सरकार मान जाती है. ज्यां क्लॉड लापता हो जाता है और अपने बेटे को पालने के काम अपने मित्र को दे जाते है जो उस बच्चे का पिता बन कर उसका लालन पालन करता है. बरसों बाद एक अति-उत्साही अकाउंटेंट की वजह से इस खर्चे पर रोक लग जाती है और आर्मी की पूरी यूनिट ज्यां क्लॉड के बेटे समीर डिकाज़ा को मारने के लिए चल पड़ती है. आगे की पूरी कहानी ज्यां क्लॉड के अपने बेटे को बचाने की है. अलग अलग जगह भागते हुए, आर्मी से और पुराने दुश्मनों से निपटते हुए ज्यां क्लॉड को एक जंग और लड़नी थी – अपने बेटे को अपने बारे में बताने की.
फिल्म में कुछ कुछ सीन्स मज़ेदार लगते हैं और कुछ बहुत ही थके हुए. कहानी में नवीनता का अभाव है. ऐसी कई फिल्में पहले भी बन चुकी हैं. किंग्समन द सीक्रेट सर्विस, जॉनी इंग्लिश, ऑस्टिन पावर सीरीज की फिल्में. थोड़ा एक्शन, थोड़ी कॉमेडी, थोड़े मज़ेदार गैजेट्स और ढेर सारा कन्फ्यूजन इस तरह की फिल्मों की खासियत होती है. द लास्ट मर्सिनरी के साथ अजीब दुविधा रही कि वो कॉमेडी और एक्शन फिल्म बना रहे थे लेकिन जहाँ एक्शन होना चाहिए, वहां कॉमेडी और जहाँ कॉमेडी होने चाहिए थी वहां एक्शन हो गया. ज्यां क्लॉड पुराने खिलाडी हैं लेकिन वो भी एक ही तरह के रोल और एक ही तरह की एक्शन करते करते बोर हो गए हैं. अल पचीनो की फिल्म स्कारफेस (जिस पर अमिताभ बच्चन की फिल्म अग्निपथ आधारित थी) का ज़िक्र कई बार आता है. एक ड्रग माफिया जो स्कारफेस फिल्म से प्रभावित है और बार बार उसके डायलॉग मारता रहता है, एक दो दृश्यों में हंसाने में कामयाब हो जाता है लेकिन उसके बाद वो बोर करने लगता है.
डेविड कैरोन और इस्माइल सवाने ने बिरयानी के जैसी कहानी बनायी है. कहानी में सीक्रेट सर्विस, देश प्रेम, पिता-पुत्र के अलावा माफिया भी है, अवैध हथियार भी हैं, उत्साही नौकरशाह, तेज़ तर्रार आर्मी और ढेरों गुंडे मवाली भी हैं जो मार खाने के लिए रखे गए हैं और यहाँ तक की ड्रग स्मगलिंग भी घुसा दी गयी है और कार से पीछा करने के कई सीन्स भी हैं. कुल जमा एंटरटेनमेंट के नाम पर जो जो मसाला हो सकता था सब डाला गया है. इसलिए जैकी चेन की फिल्में देखने वालों को ये फिल्म पसंद आएगी. कॉमेडी का सालन ख़राब हो गया वर्ना बिरयानी ठीक ठीक बन रही थी. फिल्म की कमज़ोरी स्क्रिप्ट से ज़्यादा उसकी एडिटिंग में है. अनावश्यक सीन्स को निकाला जा सकता था. डायरेक्टर को भी फिल्म शूट करते समय कौनसे सीन शूट करने चाहिए और कौनसे नहीं उस पर थोड़ा समय बिताना चाहिए था. अधिकांश एक्शन सीन्स में पूरी पूरी सम्भावना होती है कि हीरो और उसका बेटा अब गोलियों का शिकार बन जायेंगे, लेकिन ऐसा होता नहीं है. ये बात हज़म कर पाना ज़रा मुश्किल है. 90 के दशक में अमेरिका में इस तरह की कॉमेडी एक्शन फिल्म्स बहुत चलती थी.
द लास्ट मर्सिनरी को आप देखिये अगर आप पूरी तरह पक चुके हैं और दिमाग पर ज़ोर देने वाला सिनेमा नहीं देखना चाहते और 90 के दशक के अपने दिनों को याद करना चाहते हैं. एक्शन कॉमेडी में इस से बेहतर कई फिल्में बनी हैं लेकिन फिलहाल ये फ्रेंच फिल्म, अंग्रेजी में डब कर के नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है. समय जाया तो नहीं होगा लेकिन सदुपयोग हुआ उसकी फीलिंग भी नहीं आएगी.
डिटेल्ड रेटिंग
कहानी | : | |
स्क्रिनप्ल | : | |
डायरेक्शन | : | |
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Tags: Film review, Hollywood, Movie review
FIRST PUBLISHED : August 06, 2021, 14:28 IST
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