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Vikrant Rona Movie Review: साउथ सिनेमा की तरफ से आ रही कहान‍ियों ने दर्शकों को प‍िछले कुछ समय में खूब इंगेज क‍िया है. केजीएफ चेप्‍टर 2 और 777 चार्ली जैसी ह‍िट फिल्‍मों के बाद अब कन्नड़ स‍िनेमा से एक और फिल्‍म स‍िनेमाघरों में आई है. क‍िच्‍चा सुदीप की ‘व‍िक्रांत रोणा’ ने ट्रेलर के बाद से ही काफी हंगामा मचा रखा था. अब ये फिल्‍म आज स‍िनेमाघरों में र‍िलीज हो चुकी है. न‍िर्देशक अनूप भंडारी की ये फिल्‍म कन्नड़ के अलावा ह‍िंदी, तम‍िल, तेलुगू और मलयालम में भी र‍िलीज हो रही है. इसके साथ ही ये फिल्‍म कई अंतरराष्‍ट्रीय भाषाओं अरेब‍िक, जर्मनी, रशियन और चीन की भाषा मेंडर‍िन में भी रिलीज होने जा रही है. क‍िच्‍चा सुदीप की इस फिल्‍म को ह‍िंदी में सलमान खान का प्रोडक्‍शन हाउस प्र‍जेंट कर रहा है. जानिए कैसी है ये फिल्‍म और क्‍या इसे आपके वीकेंड प्‍लान में शाम‍िल होना चाहिए या नहीं.

कहानी
फ‍िल्‍म ‘व‍िक्रांत रोणा’ एक गांव की कहानी है, जहां भूत का खौफ फैला हुआ है. इसी डर के बीच गांव के एक घर को बंद कर रखा है. दूसरी तरफ गांव के कई बच्‍चों की भी मौत की लाश जंगल में लटकी म‍िल चुकी है. इसी दौरान यहां के इंस्‍पेक्‍टर की भी हत्‍या हो जाती है और फिर होती है नए इंस्‍पेक्‍टर व‍िक्रांत रोणा की एंट्री. वहीं गांव के मुखिया का र‍िश्‍तेदार अपनी बेटी की शादी कराने गांव आता है और उसी घर को खुलवाना चाहता है, जो भूत के चलते बंद क‍िया गया है. अब व‍िक्रांत इस सब के बीच ढूंढने न‍िकला है कि आखिर गांव के मरते हुए इन बच्‍चों की मर्डर म‍िस्‍ट्री के पीछे की वजह क्‍या है. आप भी जानना चाहते हैं तो ये फिल्‍म देख सकते हैं.

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ये कहानी ज‍ितनी आसानी से मैंने आपको अभी समझाई, फिल्‍म में उतनी आसानी से आपको समझ नहीं आएगी. क‍िसी भी सस्‍पेंस थ्र‍िलर की सबसे बड़ी जान होती है, उसकी कहानी. कहानी के ट्व‍िस्‍ट ऐंड टर्न ही आपको अपनी सीट पर च‍िपकाए रखते हैं. लेकिन ‘व‍िक्रांत रोणा’ की द‍िक्‍कत ही यही है कि एक-दो म‍िनट ही नहीं, बल्कि इंटरवेल से पहले आपको शायद ये कहानी समझ ही न आए. इतने सारे प्‍लॉट और सब प्‍लॉट हैं कि कहानी इंटरवल से पहले तक काफी कनफ्यूज रहती है. न‍िर्देशक अनूप भंडारी की इस फिल्‍म में आपको एक दर्शक के तौर पर काफी मेहनत करनी होगी और पूरा द‍िमाग लगाना होगा, क्‍योंकि शुरुआत में क्‍या हो रहा है, कुछ समझ नहीं आता. यही वजह है कि आप इंटरवल का इंतजार करने लगते हैं.

कहानी असली पेस पकड़ती है इंटरवल के बाद, जब कई सवालों के जवाब सामने आने लगते हैं, लेकिन एक दर्शक के तौर पर ये इंतजार काफी लंबा है. फिल्म का म्यूजिक भी ज्यादा असर नहीं छोड़ता है. जैकलीन फर्नांडिस की आइटम नंबर के अलावा कोई भी गाना ऐसा नहीं है जो मजेदार रहे. हां जैकलिन का यह आइटम नंबर अगर किसी पार्टी में बजेगा तो आप जरूर रख सकते हैं.

एक्टिंग
एक्टिंग की बात करें तो किच्चा सुदीप इस फिल्म में कई जगह आपको सलमान खान जैसे लगने लगेंगे उनके बोलने के अंदाज से लेकर उनकी डायलॉग डिलीवरी तक कई जगह आपको सलमान खान की याद आ ही जाएगी. अब एक्टिंग के मामले में तो सुदीप स्टार हैं लेकिन इस फिल्म में वह अकेले ही है जो पूरे स्क्रीन टाइम को संभालते हैं. बाकी सारे किरदार अपनी जगह बस नजर आ रहे हैं.

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कन्नड़ सिनेमा की इस फिल्म से सिनेमा प्रेमियों को उम्मीद तो काफी थी लेकिन शानदार BGM (बैकग्राउंड म्यूजिक) है और जानदार VFX के बाद भी कन्फ्यूजिंग कहानी इस फिल्म का बेड़ा पार नहीं कर पाती. हां सेकंड हाफ की उम्मीद में ये फिल्म 1 बार देखी जा सकती है. मेरी तरफ से इस फिल्म को 2 स्टार.

डिटेल्ड रेटिंग

कहानी :
स्क्रिनप्ल :
डायरेक्शन :
संगीत :

Tags: Film review

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